*जांजगीर जिले के तत्कालीन कलेक्टर सोनमणि वोरा ने 2005 में किया शासन और जनसहयोग से निर्माण
** क्रोकोडाइल मगरमच्छ पार्क की अच्छी और साफ सुथरी रिपोर्टिंग के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तीन साथियों को पुरुष्कृत संघ करेगा अनिल आहूजा की खास रिपोर्ट

बिलासपुर। वायरलेस न्यूज नेटवर्क छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष आसिफ इकबाल के नेतृत्व में एवं संघ के प्रदेश महासचिव बदरुद्दीन निजामी के मार्गदर्शन में संगठन के 50 अधिक पत्रकार साथियों ने जिलाध्यक्ष संतोष साहू और ब्लॉक अध्यक्ष रघु यादव पूर्व अध्यक्ष विजय सुमन एवं मस्तूरी ब्लाक के पत्रकार साथियों ने सहयोग से देश के तीसरे बड़े क्रोकोडाइल पार्क का दौरा किया। क्रोकोडाइल पार्क के अंदर 85 एकड़ में फैले इस मगरमच्छ तालाब को गहराई से अध्ययन किया और वहां तालाब में घूमने वाले मगरमच्छों को सुरक्षित करने वाले एक आईएएस अधिकारी और एक एसडीओ की परिकल्पना को देखने के लिए बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर जयरामनगर के स्टेशन के पास स्थित कोतमीसोनार गांव पहुंचे बहुत ही रोमांचक भरे इस मगरमच्छ के तालाब को देखकर एक बार की ऐसा लगा कि जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए लोग अति दुर्लभ जीव की रक्षा करने के लिए इंसान ने अपनी लगन और मेहनत से इस मगरमच्छ पार्क को बनाने के कितनी कड़ी मेहनत की होगी। रविवार सुबह जब मैं अपने घर रायगढ़ में 5:00 बजे सुबह तैयार हुआ और ट्रेन से अपने पत्रकार साथी डीडी न्यूज़ की रायगढ़ जिला ब्यूरो निशा मसीह और संघ के प्रदेश संयुक्त सचिव श्याम भोजवानी के साथ ट्रेन में बैठकर बिलासपुर पहुंचा तब मुझे होटल होटल आनंद में ठहरे प्रदेश अध्यक्ष आशिक इकबाल और बी निजामी से ज्ञात हुआ कि रविवार को हम बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर जयरामनगर रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित कोटमी सुनार गांव में मगरमच्छों से भरे क्रोकोडाइल पार्क को देखने जा रहे हैं यह सुनते ही मेरे मन में एक रोमांच भर गया। ग्यारह बजे हमें होटल से बिलासपुर शहर से होते हुए नेशनल हाईवे में पहुंचे तो वह मुश्किल 20 मिनट के अंदर एक होटल में रुक और वहां पर पत्रकार साथियों ने हम सभी प्रदेश पदाधिकारियो आसिफ इकबाल बीड़ी निजामी ,शशांक दुबे , अनिल आहूजा , राधेश्यामकोरी , श्याम भोजवानी निशा मसीह का स्वागत किया । कल ही रविवार 14 अप्रैल को भारत के संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर जन्मोत्सव जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण करके पुष्पअर्पित कर प्रदेश के पत्रकारों और बिलासपुर जिले के संघ से जुड़े पत्रकारों ने उनको याद किया और बाबा साहब अमर रहे के नारे भी लगाए। इसके बाद आसिफ इकबाल ने उपस्थित पत्रकार साथियों को संबोधित करते हुए बताया कोटमी सुनार के इस गांव में क्रोकोडाइल पार्क को देखने जा रहे हैं कुछ वर्ष पूर्व गांव में तालाबों में मगरमच्छ आने लगे और एक बच्ची की जान जाने के बाद तथा एक युवक सीताराम दास पर मगरमच्छ ने हमला कर उसे लहूलुहान कर दिया है। यह वही सीताराम दास है जिसकी एक आवाज पर मगरमच्छ तालाब से बाहर आकर विचरण करते हैं गांव के तालाबों में घूमने वाले मगरमच्छों को सुरक्षित करने के लिए गांव वालों की जान बचाने के लिए जांजगीर जिले के तत्कालीन कलेक्टर सोनमणि वोरा ने 2005 में वन विभाग के सहयोग से एक परिकल्पना कर इस दुर्लभ जीव को संरक्षित करने के लिए करने के लिए राज्य शासन से अनुमति मांगी और एक कार्य योजना तैयार करके स्वीकृति के लिए शासन को भेजा शासन से पांच लाख रुपए की स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू कर दिया गया। और जल्द ही यह पार्क बनकर तैयार हो गया है 2008 में इस पार्क का उद्घाटन तात्कालिक वन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अकलतरा के विधायक छतराम देवांगन और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में किया था। इस मगरमच्छ पार्क को देखने पर्यटक बड़ी संख्या में पूरे देश से इसे को देखने के लिए यहां आते हैं हम जब इस पार्क के मेंन गेट में पहुंचे दो देखा की ऊपर में दो मिट्टी के मगरमच्छ बने हुए हैं और गेट के ऊपर में लिखा है मगरमच्छ संरक्षण आरक्षिति कोटमी सुनार अंदर जब हम पार्क अवलोकन करने पहुंचे तब वहां पर बाहर में मिले सीताराम दास से पूर्व में इस पर का भ्रमण कर चुके।आसिफ इकबाल ने सीताराम दास को देखते ही पहचान लिया और उसे पार्क के अंदर चलने को आग्रह किया सभी पत्रकार साथी जब सीताराम दास के साथ मगरमच्छ पार्क के अंदर पहुंचे तो सीताराम दास जोर से चिल्लाना चालू किया आओ आओ आओ इस आवाज को सुनते ही तालाब के किनारे मगरमच्छ एक-एक करके आने लगे जिसे देखने के लिए पत्रकारों की आंखें टक टका गई थी मगरमच्छों को देखते ही पत्रकारों ने अपने कमरे चालू कर दिए और कोई उनकी उसकी फोटो खींच रहा था तो कोई उनके वीडियो निकल रहा था कुछ पत्रकार साथियों ने तो पहली बार मगरमच्छ के दर्शन किए थे और इसका अध्ययन करने पहुंचे थे। क्रोकोडाइल मगरमच्छ पार्क का प्रभारी डिप्टी रेंजर भोजराम खूटे ने पत्रकारों से चर्चा कर बताया कि इस मगरमच्छ पार्क में 350 से ऊपर के आसपास मगरमच्छ मौजूद है 85 एकड़ में फैले इस मगरमच्छ पार्क में गहरी झील के अंदर इन्होंने अपना घर बसा लिया है 24 एकड़ में जल पानी का गहरा झील और 34 एकड़ में ड्राई स्थान है। पहले आसपास के गांव में तालाब में यह विचरण करते थे लेकिन वन विभाग और तत्कालीन कलेक्टर सोनमणि वोरा की परिकल्पना ने मूर्त रूप ले लिया है और जनसहयोग और ग्रामीणों की कड़ी मेहनत के कारण ये पार्क बन सका । कोटमी सुनार के गांव के युवाओं को मगरमच्छों को पकड़ने के लिए उड़ीसा भेजकर प्रशिक्षण दिया गयाथा। इन युवाओं को प्रशिक्षण कितना काम आया कि आसपास के गांव में मगरमच्छ जो तालाब में विचरण करते थे वहां से पकड़ कर उन्हे बूढ़ा झील में डाल दिया गया। लोहे से बनी मजबूत जालियां से घिरे से वार को मजबूती प्रदान की गई है ताकि यहां पर आने वाले पर्यटकों पर किसी की जान माल का नुकसान किसी न हो श्री खूंटे ने उपस्थित पत्रकारों को बताया सुरक्षा की दृष्टि से किया गया है प्रतिवर्ष हमारे हिंदुस्तान में मनाया जाने वाले त्योहारों में पढ़ने वाली छुट्टियों पर इस क्रोकोडाइल मगरमच्छ पार्क में पर्यटकों की भारी भीड़ जमा हो जाती है लोग इन मगरमच्छों को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं कई बार इस मगरमच्छ पार्क को देखने के लिए विदेशी पर्यटकों का भी जमघट लगता है लोगों के घूमने के लिए यह एक अच्छा और रोमांचक भरा मगरमच्छ पार्क है पर्यटकों के लिए यहां पर होटल कैंटीन और बच्चों के घूमने के लिए रमणीय स्थल है। पार्क के अंदर ही साइंस सेंटर लाइब्रेरी हाल कैंटीन की व्यवस्था की गई है वन विभाग यहां पर अभी तक एक करोड़ से अधिक की आई हो चुकी है भोजन के लिए प्रतिवर्ष लाखों 32 लाख मछली के बीज के बच्चे डाले जाते हैं मगरमच्छों को अपनी आवाज से पुकार कर बुलाने वाले सीतारामदास वही राम जानकी मंदिर में निवासरत है। क्रोकोडाइल पार्क अध्ययन के दौरान यह भी पता चला कि छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार रहे पदम श्री श्यामलाल चतुर्वेदी का गांव भी है जहां वे गांव में चुनाव लड़कर सरपंची का पद भी संभाल चुके हैं श्री चतुर्वेदी ने गांव के लिए बहुत प्रयास करके रेलवे लाइन तथा गांव को एक स्टेशन का कार्य अपने कार्यकाल में करवाया जिसे कोटमी सुनार के रूप में हाल्ट के रूप में मिला है यह पैसेंजर ट्रेनों का स्टॉपेज है जिसमें गांव वाले अपने गंतव्य की ओर आते जाते हैं और अपनी जरूरत का सामान खरीद कर लाते हैं इस रोमांचक भरे क्रोकोडाइल मगरमच्छ पार्क के अध्ययन के दौरान वहां ग्रामीण महिलाओं ने गेट के सामने बहुत ही सुंदर कलाकृति के जरिए रंगोली बनाई थी और गांव के लोगों ने स्वीप कार्यक्रम के तहत चुनाव में लोगो में जागरूकता लाने एक अच्छी पहल भी की । इस पत्रकार टीम ने भ्रमण के दौरान किया। मेरे लिए तो यह क्रोकोडाइल पार्क मगरमच्छ भ्रमण बहुत ही रोमांचकारी रहा इस दुर्लभ जीव की रक्षा के लिए मानव ने उनके रहने खाने के लिए कितनी अच्छी व्यवस्था एक पार्क के रूप में की है जो कि काबिले तारीफ है। बच्चो के महिलाओ ,युवकों, युवतियों के लिए झूले पार्क में लगाए गए हैं। आसपास के अलावे छत्तीसगढ़ की इस ऐतिहासिक धरोहर के अध्ययन के लिए स्कूलों कॉलेजों के विद्यार्थियों को भी लाना चाहिए ताकि मगरमच्छ के प्रति जो भ्रांतियां है वो इस पार्क के भ्रमण से खत्म हो जाएगी भ्रमण समाप्ति के पश्चात नवरात्र पर्व के कारण रविवार को ही मस्तूरी और बिलासपुर के पत्रकार साथियों ने हमें मस्तूरी के आगे मल्हार गांव में स्थित छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध ढिढेश्वरी पार्वती मंदिर मल्हार का भी दर्शन कराया और माता रानी के आशीर्वाद हम सभी पत्रकार साथियों ने प्राप्त किया । तत पश्चात पूजा अर्चना की।
रायगढ़ के कई युवा पत्रकार साथियों को भी इस क्रोकोडाइल मगरमच्छ पार्क के भ्रमण के बारे में जानकारी साझा की जिसे कई पत्रकार साथियों ने एक बार इस क्रोकोडाइल मगरमच्छ पार्क घूमने की भ्रमण करने की इच्छा जताई। छत्तीसगढ़ पत्रकार कल्याण संघ ने क्रोकोडाइल मगरमच्छ पार्क की अच्छी और साफ सुथरी रिपोर्टिंग के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तीन साथियों को पुरुष्कृत करने की घोषणा की ।
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