बिलासपुर (वायरलेस न्यूज) परंपरागत गोदना और गोंड चित्रकला के प्रचार हेतु उन्मुखीकरण कार्यशाला
विषय: ‘सह-अस्तित्व के माध्यम से संरक्षण’ छत्तीसगढ़ के मुख्य वन्यप्रानी अभिरक्षक श्री सुधीर कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में अचानकमार टाइगर रिज़र्व के शिवतेराई इंटरप्रिटेशन सेंटर में आयोजित हुआ । आगामी वन्यजीव संरक्षण सप्ताह 2024 के अवसर पर परंपरागत गोदना और गोंड चित्रकला के प्रचार के लिए यह विशेष उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य संरक्षण के महत्व को समझाना और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देना है।कार्यशाला में स्थानीय कलाकारों, छात्रों और पर्यावरण प्रेमियों को आमंत्रित किया गया। इसमें गोदना और गोंड चित्रकला के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान, लाइव प्रदर्शनी और इंटरएक्टिव सत्र का आयोजन हुआ । इस आयोजन के दौरान, प्रतिभागियों को यह सिखाया जाएगा कि किस प्रकार ये परंपरागत कलाएं वन्यजीवों के संरक्षण में सहायता कर सकती हैं।उप संचालक गणेश यू आर ने कहा, “संरक्षण केवल वन्यजीवों के लिए नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी महत्वपूर्ण है। गोदना और गोंड चित्रकला हमें हमारे परंपरा की कहानियों से जोड़ती है और हमें यह सिखाती है कि प्रकृति के साथ कैसे सह-अस्तित्व में रहा जाए।”
यह कार्यशाला न केवल कला के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रति भी नई दृष्टिकोण विकसित करेगी। कार्यक्रम का मुख्य व्याख्याता और माननीय अतिथि श्री शिरीष चंद्र अग्रवाल (पूर्व पीसीसीएफ) रहे।
कार्यक्रम का समन्वयन कोटा बफर परिक्षेत्राधिकारी एवं श्री अभिषेक सोनी, कला प्रवर्तक ने किया। मास्टर ट्रेनर के रूप में श्री कृष्ण सोनी, फैकल्टी फाइन आर्ट्स, एनआईटी रायपुर उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, परंपरागत कला के कलाकारों में गोदना कला की विशेषज्ञता रखने वाली श्रीमती गायत्री, सुश्री प्रतिभा और श्रीमती टीजो पावले शामिल रहीं।यह कार्यक्रम कला के प्रचार और संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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