बिलासपुर की घटना के बाद ध्वनि प्रदूषण निर्यंत्रण समिति से पर्यावरण प्रेमियों की मार्मिक अपील: प्राकृतिक आपदा नहीं है यह, आपके हमारे बच्चों के साथ भी हो सकती है।

रायपुर ( वायरलेस न्यूज़) 03 अप्रैल/ सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश 27.01.2025 के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण के मामलों में अब तक की गई कार्रवाइयों की समीक्षा करने, छत्तीसगढ़ कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 और ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के प्रावधानों की तुलनात्मकता और प्रभावकारिता का अध्ययन करने, तथा उक्त अधिनियम और नियमों में संशोधन के संबंध में सिफारिशें करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय का गठन किया गया है।

30 मार्च को बिलासपुर के मल्हार के मस्तूरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिलासपुर में हुई दुखद और हृदय विदारक घटना के बारे में जिसमें एक जुलूस में डीजे सिस्टम से उत्पन्न तेज़ आवाज़ या डीजे वाहन से टकराने से एक मकान के हिस्से के ढह जाने के कारण दस लोग, जिनमें पाँच मासूम बच्चे शामिल थे घायल हो गए और एक बच्चे की चोटों के कारण मृत्यु हो गई।

इसे लेकर रायपुर के नितिन सिंघवी ने समिति के सदस्यों को पत्र लिखकर मार्मिक अपील की है कि इन पाँच छोटे बच्चों के लिए, जो बिना किसी कारण पीड़ा में हैं और एक नन्ही जान के असमय चले जाने के गहरे दुख को शब्दों में बयान करना मुश्किल है। मुझे पीड़ितों के लिए अपार दुख और प्रशासन की लापरवाही के प्रति गुस्सा महसूस होता है। यह त्रासदी टाली जा सकती थी और इसके लिए केवल आँसुओं से अधिक की आवश्यकता है — यह घटना जवाबदेही, न्याय और ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कदमों की माँग करती है।

क्या लिखा है पत्र में

पत्र में उन्होंने लिखा है कि समिति के सदस्यों को यह याद रखना चाहिए कि इन डीजे ने अपूरणीय क्षति पहुँचाई है, यह प्राकृतिक आपदा नहीं है। छत्तीसगढ़ में कई कमजोर बच्चे तेज़ शोर और लेजर लाइट्स के कारण स्थायी रूप से बहरे या अंधे हो गए हैं। कुछ साल पहले डीजे की आवाज से दो लोगों की हृदयघात से मौत हो गई थी, एक अधेड़ ने आत्महत्या भी की है। स्वस्थ वयस्क भी इन अक्षमताओं से पीड़ित हैं। सिंघवी ने समिति को लिखा है कि यह किसी के भी साथ हो सकता है: आपका बच्चा, मेरा बच्चा, आपके प्रियजन, मेरे प्रियजन या यहाँ तक कि आप और मैं। इसलिए समिति को डीजे, लाउडस्पीकर, शोर उत्पन्न करने वाले उपकरणों और लेजर लाइट्स के इस घातक खतरे को रोकना होगा। वाहनों या सड़कों पर उपयोग होने वाले हर डीजे सिस्टम, लाउडस्पीकर या शोर उत्पन्न करने वाले उपकरण के साथ ही लेजर लाइट्स को जब्त कर उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद नष्ट कर देना चाहिए। इसी तरह डीजे, साउंड बॉक्स, लेजर लाइट्स या इसी तरह के उपकरणों से लैस हर वाहन को राजसात कर लिया जाना चाहिए।

क्या समिति गठन की आवश्यकता थी?

सिंघवी ने चर्चा में बताया कि उन्हें बहुत दुःख है कि प्रदेश का प्रशासन ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए कतई गंभीर प्रतीत नहीं होता, नहीं तो इस समिति की आवश्यकता नहीं थी। क्योंकि ध्वनि प्रदूषण नियम केंद्र शासन के हैं और कोल्हन अधिनियम के नियम राज्य शासन के हैं। हमारा संविधान प्रावधानित करता है कि जब दो कानून हों तो केंद्र का कानून लागू होगा। कोल्हान अधिनियम जो कि 1985 में लागू किया गया था में एक हजार रुपए का फाइन है या छ: माह की सजा है, केंद्र के नियम में एक लाख तक का फाइन तथा 5 साल तक की सजा है। प्रशासन कोल्हन अधिनियम में प्रकरण दर्ज करता है जिससे एक हजार की पेनल्टी पटाके डीजे ऑपरेटर खुशी खुशी बच जाते हैं। मुद्रास्फीति के चलकर एक हजार की कोई औकात नहीं बची है। प्रशासन ने केंद्र के नियमों की तरह कोई कार्यवाही आज तक नहीं की है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ शासन की अधिसूचना के अनुसार ही डीजे की ध्वनि प्रदूषण से हुए पर्यावरण नुकसान की भरपाई भी रु दस हजार वसूली जानी है और सभी स्पीकर जप्त किये जाने है, पर्यावरण नुकसान की भरपाई का एक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है।

क्या है कोर्ट का आदेश

2016 के उच्च न्यायालय के आदेश में और राज्य शासन के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी वाहन पर डीजे बजाने पर उसे जप्त किया जाएगा और कलेक्टर द्वारा उसे छोड़ा जाएगा। परंतु पूरे प्रदेश में एक भी प्रकरण ऐसा नहीं हुआ है कि डीजे जब्त कर कलेक्टर द्वारा कार्यवाही की गई हो। इसके विपरीत कोल्हन अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज करके डीजे ऑपरेटरों को बचाया जाता है। कोर्ट के आदेश के अनुसार एक ही वाहन में दो बार डीजे बजाने पर उसका परमिट निरस्त करना है जो कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही पुनः दिया जा सकता है परंतु एक भी वाहन ऐसा जप्त नहीं किया गया है। इससे पता लगता है कि प्रशासन को आमजन की चिंता नहीं है।

छोटे बच्चों के माता पिता से निवेदन

सिंघवी ने छोटे बच्चों के माता पिता को सुझाव दिया है कि बच्चो को लेकर किसी भी ऐसी शादी बयाह या कार्यक्रम में न जाए जिसमे डीजे बजने वाला हो यह बच्चे के लिए घातक हो सकता है। यह पूरी तरह सुनिश्चित करे की डीजे की लेज़र लाइट बच्चो की आंख पर नहीं आये।

नितिन सिंघवी
9826126200

Author Profile

Amit Mishra - Editor in Chief
Amit Mishra - Editor in Chief