पहलगाम की पीड़ा और मीडिया का राष्ट्रधर्म
– डॉ शाहिद अली
(वायरलेस न्यूज़ नेटवर्क)
कश्मीर के पहलगाम में आतंकी घटना भारत के सीने में गहरा ज़ख्म है। देश आक्रोशित है। दुनिया के देशों में भी पहलगाम हादसे की गंभीर प्रतिक्रिया है। धर्म पूछकर अंगों की विशेष पहचानकर गोलियां बौछार से जनसंहार की घटना ने हरेक इंसान के दिल छलनी किए हैं। कहा जाए तो पहलगाम में सीधे तौर पर भारत के शांति, अहिंसा और भाईचारे की हत्या हुई है। पूरा देश शोक और गहरी पीड़ा से गुजर रहा है। कोई आंख ऐसी नहीं है जो नम ना हो।
पहलगाम की आतंकी घटना से पाकिस्तान का कनेक्शन दुनिया की नजर में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस नापाक हरकत का सही जवाब देंगी। लेकिन इससे पहले जरूरी है कि देश के सभी राजनीतिक दलों का एक स्वर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विश्वास और ताकत हासिल हो। इस मामले में कोई भी राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप क्षम्य नहीं हो सकते हैं। भारत का जनमानस भी ऐसा ही सोचता है और प्रधानमंत्री के हर उस फैसले का समर्थन करता है जो पहलगाम से उठने वाली चीखों और दर्द का बदला ले सके।
पाक पोषित आतंक का जवाब कुशल रणनीति से ही संभव है। सिंधु जल संधि तोड़ कर पाक को जाने वाला पानी रोकने का फैसला काफी अहम है। इससे पाकिस्तान में जलसंकट खड़ा होगा। जलसंकट से उत्पन्न होने वाली गंभीर स्थिति से निपटने फिलहाल पाक के पास कोई रास्ता नहीं है। इस बीच प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को समूल नष्ट करने और पहलगाम के आतंकियों को ढूंढ निकालने के लिए तीनों सेनाओं के प्रमुखों की बैठक लेकर जरुरी निर्देश दिए हैं। सुरक्षा कारणों से भारत के आतंक विरोधी अभियान की सफल सर्जरी के लिए मीडिया से खबरों को लेकर जरुरी एहतियात बरतने की भी अपील की है । भारत सरकार ने मीडिया के लिए एडवायजरी जारी कर एलर्ट किया है कि वह ऐसी खबरें प्रसारित ना करें जिससे आतंकवादियों को उनके खिलाफ होने वाले एक्शन से बच निकलने का रास्ता बना लें। क्योंकि इससे पहले 26/11 के मुंबई आतंकी घटना के मीडिया रिपोर्टिंग की असावधानी के दुष्परिणाम हम देख चुके हैं। पाक में बैठे आतंकी संगठनों का मकसद पहलगाम में साफ़ हो गया है। ऐसे आतंकवाद का मकसद ही भारत में हिन्दू – मुस्लिम के सौहार्द को नष्ट-भ्रष्ट करना है। दुर्भाग्य से पहलगाम की घृणित घटना ने सोशल मीडिया में इस सौहार्द के खिलाफ कतिपय दुष्प्रचार देखा जा रहा है जिस पर मीडिया को काफी सतर्क रहना होगा। भारत में आतंकवाद के खिलाफ जंग आंतरिक सुरक्षा को अस्थिर करके नहीं लड़ी जा सकती है। मीडिया को यह सुनिश्चित करना होगा कि आज देश के सामने पहलगाम से जो गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं उसकी जड़ों को उखाड़ फेंकना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। अतः ऐसे बयानों को भी दरकिनार करने की जरूरत है जो आतंकवाद के मंसूबों को हवा देते हैं। इस समय देश की आशाएं मीडिया की ओर भी हैं। डिजिटल युग के दौर में मीडिया पल प्रति पल खबरें अपडेट करता है। यह भी एक संयोग है कि आज मीडिया सबसे ज्यादा युवाओं के हाथों में है। मीडिया में पेशेवरों की ये बड़ी संख्या भारत के तीन बड़े पत्रकारिता के विश्वविद्यालयों और सैंकड़ों की तादाद में खुले महाविद्यालयों के पत्रकारिता संस्थानों से निकल कर आ रही है जहां मीडिया का शिक्षण एवं प्रशिक्षण दिया जाता है। यह बात दोयम है कि ऐसे संस्थानों में युद्ध पत्रकारिता के पाठ्यक्रमों की शिक्षा उपलब्ध नहीं है। मीडिया में पैकेज के दौर से भी उच्च स्तरीय खबरनवीसों का अभाव है। लेकिन इन स्थितियों को बदलने की जरूरत है और राष्ट्रवादी विचारधारा और संकट के समय खड़े भारत के नेतृत्व को ताकतवर बनाने वाली पत्रकारिता की जिम्मेदारियों को हमें पूरा करना होगा। पत्रकारिता संस्थानों से निकलने वाले युवा कलम के सिपाहियों को देश की सीमा पर तैनात सिपाहियों के हौसलों को बढ़ाने का काम करना होगा। तभी हम भारत के खिलाफ जहरीले आतंकवाद को समूल नष्ट करने में सफल हो सकते हैं और यह ही मीडिया का राष्ट्रधर्म भी है।
(लेखक मीडिया शिक्षाविद् हैं।) 01/05/2025
drshahidaliktujm@gmail.com
Author Profile

Latest entries
Uncategorized2025.05.04राजनीतिक दलआज जातिगत जनगणना मुद्दे पर नरेंद्र मोदी पर तंज कस रहे हैं, उनके लिए स्वयं के पूर्व कार्यकाल को याद कर लेना चाहिए
Uncategorized2025.05.03वायरलेस न्यूज़ गत दिनों प्रकाशित खबर की प्रतिक्रिया *जहां जीव दया नहीं, वन्यप्राणियों पर अत्याचार हो, ऐसे जंगल सफारी का बहिष्कार करें: जैन संघठन और पशु प्रेमी*
Uncategorized2025.05.02पहलगाम की पीड़ा और मीडिया का राष्ट्रधर्म – डॉ शाहिद अली
Uncategorized2025.05.02मिशन एवं सिंधु कल्चरल एलायंस फोरम का के द्वारा दीदी कृष्णा कुमारी जी के जन्मदिवस पर विशाल निःशुल्क नेत्रदान एवं स्वास्थ्य परीक्षण शिविर