**कुडकई DAV स्कूल विवाद पर प्राचार्या का पक्ष: “विद्यालय की छवि धूमिल करने की सोची-समझी साजिश”**
*बिलासपुर/कुडकई | (प्रवीण मौर्य विशेष संवाददाता ) *
कुडकई स्थित **DAV पब्लिक स्कूल** को लेकर कुछ ग्रामीणों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने क्षेत्र में कौतूहल का विषय बन बैठा है। विद्यालय पर *भेदभाव, पारदर्शिता की कमी* और *अतिथि शिक्षक के साथ संदिग्ध लेनदेन* जैसे मुद्दों को लेकर आरोप लगाए गए है लेकिन इन तमाम बातों को स्कूल की प्राचार्या ने सिरे से नकारते हुए *पूरे घटनाक्रम को एक षड्यंत्र करार दिया है।*
प्राचार्या ने मीडिया से बातचीत में न केवल इन आरोपों का सिलसिलेवार खंडन किया बल्कि उनसे संबंधित सभी साक्ष्य भी प्रस्तुत कर स्पष्ट किया कि विद्यालय की समस्त कार्यप्रणाली पूरी तरह से **नियमबद्ध, पारदर्शी और छात्रहित में** है। उन्होंने कहा कि –
> “विद्यालय की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि हमने हर प्रक्रिया को नियमानुसार संपन्न किया है।”
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आरोप 1: अतिथि शिक्षक से संदिग्ध आर्थिक लेनदेन
सबसे प्रमुख आरोप ग्रामीणों ने लगाया है कि, वह एक अतिथि शिक्षक से नौकरी देने के एवज में 4000 रुपए वेतन से लेती है इस पर प्राचार्या ने अपनी बात रखते हुए कहा –
> “यह भुगतान आफिस स्टाफ की गलती से अधिक हो गया था। अतिथि शिक्षक को 12000 मानदेय पर रखा गया था लेकिन उसे 16000 का भुगतान हो रहा था उसी अतिरिक्त 4000 रुपए को शिक्षक द्वारा वापस किया गया है जो वह जानबूझकर या किसी के इशारे पर मेरी बेटी के UPI खाते में भेजती रही । उसके बाहर रहने के कारण मुझे इसकी जानकारी नहीं । पर जैसे ही उसके द्वारा मुझे इस बात की जानकारी मिली कि किसी अनजाने नंबर से उसको पैसे भेजे जा रहे हैं मैने पूरी डिटेल मंगा कर नंबर की पुष्टि की और तुरंत ही वह राशि स्कूल के आधिकारिक खाते में जमा करवा दी तथा बात की सारी जानकारी DAV हेड क्वाटर को दी। इसके साथ ही उस शिक्षक से उसके पिता को स्कूल आकर मिलने और बात करने को कहा गया परंतु कई बार बुलाने के बाद भी वो नहीं आए।
उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को *व्यक्तिगत रूप से फंसाने का प्रयास* बताया है।
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आरोप 2: RTE के अंतर्गत प्रवेश में गड़बड़ी
दूसरा आरोप RTE (Right to Education) के अंतर्गत छात्रों के प्रवेश को लेकर था। ग्रामीणों का दावा था कि Right to Education) के तहत स्कूल ग्राउंड लेबल पर गड़बड़ी कर रहा है।
इस पर प्राचार्या ने पूरी पारदर्शिता के साथ जवाब देते हुए कहा –
> “RTE में प्रवेश शासन द्वारा बनाई गई समिति और समस्त अभिभावकों की उपस्थिति में नोडल द्वारा होता है। उनकी जानकारी व प्रवेश प्रक्रिया सीधे शासन की नजर में होता है । पोर्टल और स्कूल की संख्या में कोई अंतर नहीं । यदि कुछ अंतर होगा भी तो उसका कारण है कि Right to Education के तहत प्रवेश लेने के बाद में यदि कुछ समय बाद बच्चा स्कूल नहीं आया और TC भी नहीं लिया गया तो विभागीय नियमों के अनुसार, बिना TC (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) के नाम काटा नहीं जा सकता।
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आरोप 3: RTE छात्रों के साथ भेदभाव
शिक्षा के क्षेत्र में सबसे संवेदनशील आरोप होता है – भेदभाव। ग्रामीणों ने कहा कि स्कूल में RTE से आए बच्चों के साथ भेदभाव होता है। इस पर प्राचार्या ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा –
> “कक्षा में पढ़ाते समय शिक्षक यह नहीं जानता कि कौन RTE का छात्र है और कौन सामान्य। सभी छात्रों को समान अवसर, समान व्यवहार और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाती है। यह आरोप दुर्भावनापूर्ण और तथ्यहीन है। इस स्कूल के कितने ही RTE के तहत पढ़ने वाले बच्चे मेडिकल NDA और स्पोर्ट्स के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर चयनित और पुरुस्कृत हुए हैं ।
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स्कूल में कैश लेनदेन नहीं, केवल बैंकिंग माध्यम
शिक्षा में पारदर्शिता की बात करते हुए प्राचार्या ने एक और महत्वपूर्ण पहलू रखा कि DAV स्कूल में *कैश में किसी प्रकार का लेन-देन नहीं होता है
स्कूल में पूर्णतः कैशलेस व्यवस्था है और अभिभावकों को पूर्ण भुगतान रसीद और रिकॉर्ड मिलता है। शुल्क निर्धारण से लेकर शिक्षक नियुक्ति तक की प्रक्रिया DAV प्रबंधन समिति द्वारा तय होती है। व्यक्तिगत रूप से किसी भी स्तर पर कुछ भी नहीं किया जा सकता।”
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# स्टाफ और अभिभावकों का समर्थन
इस पूरे विवाद के बीच स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों ने प्राचार्या के पक्ष में खड़े होकर कहा –
> “यदि प्राचार्या आर्थिक गड़बड़ी में संलिप्त होतीं तो यह केवल एक अतिथि शिक्षक तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि और भी प्रकरण होते। यह पूरा मामला किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रचार्या और स्कूल प्रशासन को बदनाम करने की कोशिश का हिस्सा लगता है। इस पूरे विवाद की अगुवाई करने वाले और RTE के तहत दाखिले को संदेहास्पद बताने वाले व्यक्ति का एक बच्चा पहले से ही स्कूल में RTE के तहत पढ़ रहा है और गुणवत्ता में कमी का दावा करने वाले उसी व्यक्ति ने पुनः इस सत्र 2025-26 में अपने दूसरे बच्चे का दाखिला भी RTE के तहत इसी स्कूल में करवाया है। क्या ये हास्यास्पद नही है ?
वहीं, कई अभिभावकों और छात्रों ने भी स्कूल प्राचार्या और शिक्षकों का समर्थन करते हुए कहा कि –
> “हमें स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षक का व्यवहार और शैक्षणिक वातावरण सभी कुछ संतोषजनक मिला है। किसी भी बच्चे के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है । यह सभी बातें निराधार है।”
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# निष्पक्ष जांच की मांग
इस पूरे प्रकरण पर प्राचार्या ने कहा शिक्षा विभाग *तथ्यों की निष्पक्ष जांच* कर सकता है सच सामने आ जाएगा।
> “हम शिक्षा को सेवा मानते हैं, व्यवसाय नहीं। अगर किसी को कोई शंका है तो वह विधिसम्मत तरीके से सामने आए। आरोप लगाने से पहले तथ्यों की जांच जरूरी है। मैं चाहती हूँ कि शिक्षा विभाग स्वतंत्र जांच करे और सच्चाई सामने लाए।”
# निष्कर्ष:
**कुडकई DAV स्कूल** को लेकर ग्रामीणों ने जो आरोप लगाए गए हैं, उनके पीछे स्पष्ट रूप से कुछ स्वार्थी तत्वों की भूमिका नजर आती है। विद्यालय की प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास है विद्यालय की पारदर्शिता, नियमबद्धता और समाज के सभी वर्गों के छात्रों के प्रति समता भाव को प्रमाणित करते हुए प्राचार्या ने पूरे विवाद को *चरित्र हनन की साजिश* बताया है।
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