रायगढ़।(वायरलेस न्यूज़) घरघोड़ा।बरौद कॉलरी। एसईसीएल कम्पनी द्वारा छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल विभाग द्वारा गत एक दशक से कम्पनी में उत्पादन उत्पादकता व कोयला संप्रेषण के कार्यो को सुचारु रुप से चलाने चुहकीमार से सत्रह कि.मी. की लाईन बिछाकर स्वतंत्र रुप से फीडर लाईन ली गई है किन्तु इस फीडर लाईन में विद्युत की आपूर्ति बद से बदतर हो चुकी है जरा सी भी हवायें चली या बादल गरजने की आवाज ही क्यो ना आये पल भर में विद्युत गुल होना आम बात है परिणाम स्वरूप कॉलरी में विद्युत से संचालित मोटर पंप तथा अन्य उपकरण सभी ठप्प पड़ जाते है जिसके कारण कम्पनी को लाखों व करोड़ो की क्षति उठानी पड़ती है जबकि कम्पनी द्वारा छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल विभाग को प्रतिमाह पच्चीस छब्बीस लाख रूपये अदा करते आ रही है |
असमय विद्युत गुल के कारनामें दिन भर हो या रात भर होती ही है कभी कभी तो ऐसे भी समय आते रहे है कि निरंतर दो से तीन दिनों तक विद्युत की तरंगें अदृष्य देखी गई है विद्युत गुल की निरंतरता जब बनी रहती है तब विभागीय आवासीय कालोनी में स्थापित पानी के टंकी में विद्युत के अभाव में मोटर पंप नहीं चलने से जल प्रदाय की व्यवस्था भी छिन्न भिन्न हो जाती है |
कालोनी में निवासरत अधिकारी हो या कर्मचारी व जिनके परिजन बूंद बूंद पानी के लिए तरसते है निस्तारी के लिए दो किमी दूर कुरकुट नदी जाने विवश व लाचार प्रतीत होते है स्थानीय ट्रेड यूनियनों में इंटक,एटक,सीटू,बीएमएस तथा एचएमएस के जिम्मेदार प्रतिनिधियों ने अनेकों दफे प्रबंधन व छत्तीसगढ़ विद्युत विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस समस्या के समाधान के लिए गुहार लगाते हुए प्रदर्शन भी किया जा चुका है पर अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती |

कुडुमकेला फीडर लाईन के एक सैकड़ा ग्राम भी प्रभावित राज्य सरकार द्वारा छग विद्युत विभाग द्वारा कुडुमकेला फीडर लाईन को गेरसा तक आपूर्ति की जाती है जिसमें कंचनपुर,टेरम,फगुरम,बरघाट,कुडुमकेला,गेरसा तक सैकड़ों प्रमुख ग्रामों में विद्युत गुल हमेशा होना आम बात है ग्रामीण क्षेत्रों का तो और भी बुरा हाल है एक दो दिनों तक यहॉ भी विद्युत की तरंगो में आये तकनीकी खराबियों को सुधारने में कोई भी विभाग के लोग रूचि नहीं लेते,कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि एसईसीएल बरौद उपक्षेत्र की भांति कुडुमकेला फीडर लाईन के भी हालात जस के तस है !