जशपुर (सुनीता गुप्ता वायरलेस न्यूज़) :-जशपुर जिले के युवा जिन्होंने 2 बार जशपुर के हितों की चिंता करते हुए रायपुर यात्रा की एक बार भाजपा के शासन में ट्रामा वेन डायलिसिस सेंटर की स्थापना को लेकर दूसरी बार टाँगरगाँव मे लगने वाले स्टाइल प्लांट का विरोध दर्ज कराने जब तक जशपुर में ऐसे सम्वेदनशील और प्रकृति प्रेमी युवा हैं तब तक जशपुर की आबोहवा बिगड़ने सवाल ही नही उठता!!
जशपुर जिसकी तुलना स्कॉटलैंड, कश्मीर , और शिमला से की जाती है आज हम क्षणिक रोजगार की चाह में जिस इस्पात फैक्ट्री का समर्थन कर रहे हैं वह भविष्य में समर्थन न होकर अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारना कहलायेगा!!
जशपुर जहां का मौसम हिमालय के तराई की तरह है जहाँ कैलाश गुफा नामक तीर्थाटन है जहां की वनस्पतियां हिमालय की वनस्पतियों से कम नही है जहां की नदी का पानी गंगा नदी के पानी से किसी भी रूप में कम नही है यह वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है वहां इस तरह का प्रकृति को नुकसान पंहुचाने वाला उद्योग लगने से हम ऑरेंज जोन से सीधे रेड जोन में जा पंहुचेंगे जिसके बाद दिल्ली की तरह हमारा जिला भी विषैला हो उठेगा!!
जशपुर के युवा कैसर हुसैन कहते हैं प्लांट से निकलने वाला दूषित और केमिकल युक्त पानी अगर नदी में छोड़ा जाता है तो नदियां विषैली हो जाएंगी, जमीन में छोड़ा जाता है तो जमीन बंजर हो जाएगी , फैक्ट्री से निकलने वाला अपशिष्ट को कम्पनी कहाँ खपायेगी जंगल किनारे, किसी तालाब में, नदी किनारे, या किसी मैदान में वह अपशिष्ट खत्म नही होगा बल्कि आस पास की जमीनों को हवाओं में जहर घोलने के अलावा कोई और काम नही करेगा वह अपशिष्ट, इसलिए हम युवा नही चाहते जशपुर की आबोहवा में कम्पनी किसी भी किस्म का जहर घोले हम प्रकृति के प्रेमी हैं लेकिन यह फैक्ट्री 100% प्रकृति का नुकसान करेगी!!
विधायक यू डी मिंज कहते हैं जशपुर का तापमान 0 से 45 डिग्री तक का है जो दार्जलिंग और हिमालय के मौसम जैसा है जिसे उद्योग का समर्थन करके हम बर्बाद नही कर सकते हम यहां चाय, कॉफ़ी, स्ट्राबेरी, नासपाती, संतरा, अंगूर, कटहल, पुटकेल, मिर्ची, आम, काजू, महुआ, जामुन, चिरौंजी, सरई की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं हम इको टूरिज्म, एग्रो टूरिज्म, नेचर टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं इको इंडस्ट्रीज का हम दिल खोल कर स्वागत करते हैं मगर इस तरह के किसी भी प्लांट के पक्षधर नही हैं जो माँ कुदरगढ़ी स्टील इंडस्ट्रीज चाहती है या उसके मेनोफेस्टो में हैं जिस जगह वह प्लांट लगना प्रस्तावित है वह एलिफेंट कॉरिडोर में आता है उसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण जंगली जानवर जैसे कोटरी, जंगली सुकर, भालू, जंगली बिल्ली, खरगोश सहित अन्य वन्य जीवों का बसेरा है जहां पुरातात्विक धरोहर की महत्वपूर्ण धरोहरें है जिनका संरक्षण के प्रयास होने चाहिए उस स्थल पर उस जिले में हमें इंडस्ट्रियल उद्योग नही चाहिए हम जशपुर को दिल्ली में बदलने नही दे सकते…जिले में रोजगार के लिए हम प्रयास कर रहे हैं कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य चल रहा है कोरोना महामारी की वजह से हम पिछड़े जरूर हैं मगर जल्द ही हम रोजगार के नए आयाम गढ़ने को तैयार हैं इको टूरिज्म रोजगार का एक बड़ा साधन बने इसके लिए हम पर्यटन सहित अन्य विभागों से लगातार वार्तालाप कर रहे हैं निकट भविष्य में इसके सुखद परिणाम आएंगे जब जशपुर का युवा जशपुर में न सिर्फ रोजगार पायेगा बल्कि अन्य नवयुवकों को भी रोजगार से जोड़ने कार्य करेगा!!
जशपुर के रहवासी जशपुर के महत्व से अनजान हैं जो जशपुर के लिए अच्छी बात नही है यहां के नदी, तालाब, नाले, पहाड़, झरने, जंगल, पठार, पर किसी उद्योग की बुरी नजर नही पड़ने दिया जाएगा जशपुर का बच्चा बच्चा इस प्लांट का विरोध करता है और करता रहेगा उक्त बातें वनमित्र सामाजिक कार्यकर्ता अरुण शर्मा ने कही जशपुर में इको, एग्रो, नेचर टूरिज्म की आवश्यकता है न कि किसी स्टील प्लांट की हम जशपुर में पैदा हुए प्ले बढ़े अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम जशपुर को बचाएं इन उद्योगों से !!
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