रायपुर (वायरलेस न्यूज़ 27 सितंबर) हाथियों के लिए मीडिया में उपयोग हो रहे डरावने शब्दों के उपयोग बंद कराने के लिए भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 17 प्रोजेक्ट एलीफेंट राज्यों के मुख्य वन जीव संरक्षकों को पत्र भेजकर अपने अपने प्रदेश में मीडिया के साथ सहयोग कर उचित कदम उठाने को कहा है ताकि मीडिया हाथियों के लिए उचित एवं सौम्य शब्दों का उपयोग करे।

वास्तव में एक वन्यजीव प्रेमी ने भारत सरकार को पत्र लिखकर आशंका जताई थी कि जिस प्रकार हाथियों के लिए डरावने शब्दों का उपयोग मीडिया में हो रहा है उस से आने वाली पीढ़ी हाथियों को उसी प्रकार दुश्मन मानने लगेगी जैसे कि मानव अमूनन सांपों को दुश्मन मान लेता है और देखते ही मारने का प्रयत्न करता है. जबकि 95 प्रतिशत सांप तो जहरीले ही नहीं होते परंतु इसलिए मार दिए जाते हैं कि हमें बचपन से यही सिखाया जाता है कि साँप खतरनाक होते हैं. हाथियों के लिए भी यही होगा। जबकि हम सबको हाथियों के साथ रहना सीखना पड़ेगा।

किन शब्दों का उपयोग हो रहा है और किस नजर से देखता है विश्व हाथियों को

अमूमन हाथियों के लिए आतंकी, उत्पाती, हत्यारा, हिंसक, पागल, बिगड़ैल, गुस्सैल, दल से भगाया हुआ, हाथी ने मौत के घाट उतारा, सिरदर्द बना हुआ है जान का दुश्मन, टोही इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता है. जबकि हाथी ही एक मात्र ऐसा वन्य प्राणी है जिसके लिए दुनिया में सबसे अच्छे शब्दों जैसे कि मैजेस्टिक, रीगल, महान, जेंटल, डिग्निफाइड जीव, आला दर्जे का जीव जैसे शब्दों का उपयोग होता है। हाथी को दुनिया के सभी धर्मों में पवित्र प्राणी माना गया है। भारतीय शास्त्रों में हाथी को पूजना गणेश जी को पूजना माना जाता है, हाथी को शुभ शकुन वाला एव लक्ष्मी दाता माना गया है। भारत में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थाई समिति की 13 अक्टूबर, 2010 को हुई बैठक में हाथियों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करा है।

क्या कहना है वन्यजीव प्रेमियों का

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने चर्चा में बताया कि वर्तमान में पदस्थ एवं पूर्व मे पदस्थ प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मिलकर सुझाव दिया था कि इस प्रकार के शब्दों को ना प्रकाशित हेतु मीडिया को सुझाव दिया जा सकता है, परंतु ऐसा लगा कि मानव हाथी द्वंद के प्रति वे चिंतित नहीं है. अतः मजबूर होकर उन्होंने भारत सरकार को सुझाव प्रेषित किया था।
नितिन सिंघवी
9826126200

Author Profile

Amit Mishra - Editor in Chief
Amit Mishra - Editor in Chief
Latest entries