प्रति
भूपेश बघेल जी
मुख्यमंत्री,छत्तीसगढ़ शासन

विषय:कवर्धा में घटित हो रहे घटनाक्रम के संदर्भ में

महोदय,

आपके कल के लखनऊ की तस्वीरें पूरे छत्तीसगढ़ के भाई बहनों ने देखी।लखीमपुर किरी में जो कुछ घटना घटित हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन जो आप कर रहे हैं वह, “रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था” की कहावत को चरितार्थ करने वाला है। आप दरअसल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री नहीं रह गये हैं,बल्कि गांधी परिवार के मुख्यमंत्री हो गए हैं।हमारे छत्तीसगढ़ को “शांति का टापू” कहा जाता है,लेकिन आज एक वर्ग विशेष को प्रश्रय देकर, एक तरफा कार्यवाही करने के कारण पूरा कवर्धा जल जल रहा है। लखीमपुर खीरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिवार को 45 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। सभी मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी उत्तर प्रदेश की सरकार दे रही है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना की न्यायिक जांच और 8 दिन के भीतर आरोपियों को गिरफ्तार करने का वादा भी किया है।आप लखीमपुर खीरी के पीड़ित किसानों को छत्तीसगढ़ का 50-50 लाख रुपया दे रहे हैं, लेकिन कवर्धा के पीड़ितों के लिए आपके पास सुध लेने का भी समय नहीं है।मैं आपसे पूछना चाहता हुँ कि सिलगेर में मारे गए आदिवासी भाइयों को आपने कितना-कितना मुआवजा दिया है? छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की किसानों को आपने कितना-कितना मुआवजा दिया है??

आपके पास देश के गृह मंत्री जी द्वारा नक्सल समस्या के लिए लिए जा रहे मीटिंग में शामिल होने का समय नहीं है।4 अक्टूबर को आईजी और एसपी की बैठक में शामिल होने का समय नहीं है। कवर्धा के लिए आपके पास समय नहीं है।कवर्धा से चुनाव जीतने वाले जिस व्यक्ति को आपने मंत्री बना रखा है,क्या एक मंत्री के रूप में वे और एक मुख्यमंत्री के रूप में आप… जिम्मेदार नहीं हैं??? दरअसल कांग्रेसका मूल चरित्र ही अल्पसंख्यक वर्ग का तुष्टीकरण कर ,बांटने पर ही आधारित है:

-1956 में नेहरू जी ने हिंदू उत्तराधिकार कानून बनाया, अच्छी बात थी।लेकिन मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की भलाई के लिए नेहरू जी, सुधार लाने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाए?? पाकिस्तान तक में समाप्त हो चुके “ट्रिपल तलाक” व्यवस्था,कांग्रेस के इतने वर्षों के शासन के बाद भी चलता रहा… क्या यह तुष्टीकरण नहीं है?? क्या आप लोग सामाजिक सुधारों को भी तुष्टीकरण के धार्मिक -राजनीतिक चश्मे से नहीं देखते रहे?? आखिर क्यों ट्रिपल तलाक की अमानवीय व्यवस्था को समाप्त करने के लिए इस देश को क्यों मोदी जी के समय तक का इंतजार करना पड़ा??

-1966 में गौ हत्या के खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रहे साधुओं पर, इंदिरा जी ने गोली चलवा दी। वे तो महज अहिंसक प्रदर्शन कर रहे थे और कांग्रेस ने उन्हें मौत के घाट तक पहुंचा दिया। क्या यह तुष्टीकरण नहीं है??

  • 1984 में सिख समुदाय के साथ कांग्रेस ने क्या किया.. यह यह पूरी दुनिया जानती है।दिल्ली के भयंकर दंगों के बाद, देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधीजी द्वारा बोट क्लब से बयान दे दिया गया कि ” जब बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती की है।” क्या यह शर्मनाक नहीं है कि उस घटना के दोषी जगदीश टाइटलर,जो आज मोदी जी के आने के बाद जेल के सलाखों के पीछे बंद है,राजीव गांधी जी के जमाने में मंत्री पद पर बना रहा। दरअसल आप लोगों के अल्पसंख्यक वर्ग की परिभाषा में एक ही समुदाय विशेष आता है, अल्पसंख्यक वर्ग में तो कई समुदायों हैं,लेकिन वहां भी आप का विभाजन और तुष्टीकरण अत्यंत दुर्भाग्य जनक है।

-1986 में शाहबानो के प्रकरण में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश को पलटने के लिए संसद में कानून ले आना क्या दुर्भाग्यजनक नहीं था?? एक मुस्लिम महिला को ,जब सुप्रीम कोर्ट ने हर्जाने का अधिकार दे दिया था, वहां महिलाओं के अधिकारों की चिंता करने के बजाय कांग्रेस के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कट्टरपंथियों की सोच को प्रमुखता दी।क्या यह तुष्टिकरण की राजनीति के लिए कट्टरपंथियों के सामने कांग्रेस का समर्पण नहीं था??

  • नरसिम्हा राव जी के जमाने में कांग्रेस के AICC के प्रवक्ता रहे वी०एन० गाडगिल ने, मुंबई में चल रहे प्रशिक्षण में स्वयं “तुष्टीकरण की कांग्रेसी नीति” की आलोचना करते हुये कहा था कि “जब शाही इमाम बोलते हैं तो कांग्रेसी ऐसे बिहेव करते हैं,जैसे खुद भगवान का संदेश आया है।” क्या कांग्रेस के AICC के प्रवक्ता का यह कहना कांग्रेस के लिए आत्मावलोकन का विषय नहीं है??

-2010 में कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री के मुंह से,यह का हलवा देना कि “देश के संसाधनों पर पहला अधिकार, अल्पसंख्यकों,विशेषकर मुस्लिमों का है। पूरा देश समझता है कि मनमोहन सिंह जी ने यह वक्तव्य किसके कहने पर दिया होगा??क्या यह तुष्टिकरण की राजनीति की चरम पराकाष्ठा नहीं थी??

  • तेलंगाना के कांग्रेस के घोषणा पत्र में,केवल मुस्लिमों के लिए विशेष अस्पताल एवं केवल मस्जिदों में बिजली बिल माफ करने की की बात तुष्टीकरण का चरम नहीं था??

अंत में यही कहुँगा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी! गांधी परिवार के मुख्यमंत्री बनने के बजाय, छत्तीसगढ़ के लोगों का मुख्यमंत्री बनिये।अन्यथा आप को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।आपके लिए भी कहा जायेगा कि “कवर्धा जल रहा था और लखनऊ में जाकर छत्तीसगढ़ का नीरो चापलूसी की बंशी बजा रहा था।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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