बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़) छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा वानिकी के छात्र राहुल यादव द्वारा दायर याचिका के संबंध में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय उ के चीफ जस्टिस माननीय अरुप कुमार गोस्वामी एवं माननीय जस्टिस श्री चंद्रवंशी जी की डबल बेंच में दिए गए फैसले के अनुसार 5 दिसंबर को 211 पदों के लिए होने वाली संयुक्त छत्तीसगढ़ राज्य वन सेवा की परीक्षा के परिणामों पर रोक लगा दी गई है एवं छत्तीसगढ़ शासन और लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।ज्ञात हो कि वानिकी वन्यजीव और पर्यावरण संकाय के ग्रेजुएट /पोस्ट ग्रेजुएट अभ्यर्थियों को को राष्ट्रीय वन नीति के हवाले से राज्य वन सेवा में नियोजन के समय विशेष प्राथमिकता पदों के अनुपात में दिए जाने के संबंध में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है जिसके परिपालन में देश के विभिन्न राज्यों की वन सेवा भर्ती परीक्षा में वानिकी, वन्यजीव और पर्यावरण संकाय के प्रतियोगियों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है । फॉरेस्ट्री संकाय के स्टूडेंट राहुल यादव द्वारा राज्य वन सेवा भर्ती परीक्षा के नियमों की विसंगति को चुनौती माननीय हाईकोर्ट में दी गई थी। 5 दिसंबर को आयोजित छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा द्वारा राज्य वन सेवा की संयुक्त भर्ती परीक्षा में वानिकी संकाय के छात्रों को प्राथमिकता ना दे करके विज्ञान विषय से संबंधित समस्त संकायों के विद्यार्थियों साथ समान रूप से योग्यता धारी मानते हुए परीक्षा का आयोजन रखा गया था। मालूम हो विशेषज्ञ सेवाओं के लिए अहर्ता धारियों के साथ पृथक से प्राथमिकता निर्धारित किए जाने का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित संयुक्त वन सेवा भर्ती परीक्षा में विज्ञान विषय को लेकर स्नातक योग्यता धारी के साथ
गणित, भौतिकी ,रसायन, पशुपालन,कृषि, बागवानी, वानिकी, वनस्पति विज्ञान, जूलॉजी, स्वास्थ आयुष विज्ञान, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा स्नातक, सांख्यिकी, फार्मेसी आदि के स्नातक अन्य संकायों के स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को विज्ञान विषय से संबंध है भर्ती परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया जा रहा है जबकि वानिकी वन्यजीव और पर्यावरण विज्ञान में विशेष हर्ता धारी विशेषज्ञ प्रतिभागियों के नियोजन के लिए राज्य सरकार के द्वारा शामिल होने का अवसर नहीं मिलता है । प्रतिभागियों का कहना है कि विज्ञान विषय से संबंधित अन्य अन्य संकायों की परीक्षा में वानिकी वन्यजीव के छात्रों को शामिल होने के लिए अवसर नहीं मिलता है और उनका नियोजन प्रभावित होता है।
मालूम हो कि सितंबर 2020 में प्रस्तावित वन सेवा भर्ती परीक्षा को लेकर नियम सुधार की दृष्टि से विभागीय प्रक्रिया में उक्त परीक्षा का आयोजन पर रोक लग गई थी, अक्टूबर 2021 में पुनः संशोधित विज्ञापन जारी कर लोक सेवा आयोग के द्वारा कृषि पशुपालन एवं अन्य संकाय के लोगों को भी परीक्षा में शामिल होने का अवसर देते हुए 4 नवंबर 2021 तक परीक्षा फार्म भरवाया गया और आनन-फानन में 5 दिसंबर 2021 को परीक्षा का आननफानन में आयोजन रख दिया गया। जिससे रिक्तियों के आधार पर वर्षो के अंतराल में होने वाली वन सेवा परीक्षा के लिए किसी भी वर्ग को पर्याप्त समय नहीं मिल पाया और नए एग्रीकल्चर संकाय के भी विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का अवसर मिलने के बावजूद भी कुछ दिनों में परीक्षा के आयोजन में शामिल होना पड़ रहा है। परीक्षा का सिलेबस सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र एवं दूसरा प्रश्न पत्र विज्ञान, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी वानिकी और कृषि आधारित है जिसके लिए पृथक से तैयारी करनी होती है।इस बीच कोरोना महामारी के बीच तीसरी लहर की आशंका एवं नए वेरिएंट को देखते हुए राज्य भर में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। परीक्षा केंद्रों में भी कोरोना गाइडलाइन के अनुसार परीक्षा के आयोजन में खामियो की आशंका को अनेक विद्यार्थियों में ख़ौफ़ भी है जिससे विभिन्न परीक्षा केंद्रों में उपस्थित होने वालों की संख्या को लेकर संशय है।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने वाले विशेषज्ञ का मानना है कि महामारी के काल में ऐसी परीक्षा जिसके परिणाम पर रोक लगी हुई हो एवं ना तो कृषि संकाय के छात्रों को परीक्षा की तैयारी का समय मिल पाया हो और वानिकी वन्यजीव और पर्यावरण विज्ञान के ऐसे आयोजन का क्या औचित्य?महामारी के काल में ऐसी परीक्षा के आयोजन पर राज्य सरकार एवम राज्य लोक सेवा द्वारा आयोग आनन-फानन में परीक्षा का आयोजन करने के बजाय परीक्षा प्रक्रिया की त्रुटियों को दूर कर लंबित न्यायकि प्रकिया के निराकरण तक 5 दिसंबर को आयोजित परीक्षा को स्थगित कर लोकप्रिय निर्णय करना चाहिए जिससे भर्ती परीक्षा से संबंधित नियम प्रक्रिया लंबित विषय भी निराकृत हो जाएं एवं कोरोना की तीसरीं लहर की आशंका के एक लाख विद्यार्थियों के जमावड़े से महामारी का प्रसार की संभावना से भी सभी को राहत मिल सके।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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