( मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर, मप्र )
आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। मतदाता लोकतंत्र में सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है ,जिसके इर्द गिर्द अन्य घटक परिक्रमा करते हैं। भारत सहित विश्व के बहुत से देशों मे लोकतंत्र सफलतापूर्वक फल फूल रहा है। इस व्यवस्था मे आम जनता यानि मतदाता की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी लिये लोकतंत्र को जनता का ,जनता के द्वारा ,जनता के लिये बनाई गयी व्यवस्था कहा जाता है। निर्वाचन में आम मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपनी पसंद का जन प्रतिनिधि निर्वाचित करता है। निष्पक्ष ,निर्भीक, स्वच्छ, पारदर्शी निर्वाचन प्रक्रिया के लिये देश में निर्वाचन आयोग मजबूती से अपने दायित्वों का निर्वाहन करता है। 25 जनवरी , राष्ट्रीय मतदाता दिवस के माध्यम से देश के मतदाताओं को मतदान के लिये प्रेरित करने प्रोत्साहित किया जाता है।
भारतीय लोकतंत्र में सत्ता व विपक्ष के लिये स्वच्छ छवि के प्रत्याशियों का चयन दलों की चिंता का विषय नहीं होता। सभी दल जिताऊ प्रत्याशियों का चयन करते हैं। लेकिन यह महसूस किया जाता रहा है कि सदन मे अच्छी छवि के लोग ही चुन कर पहुँचें। समय – समय पर उच्चतम न्यायालय ने भी इस पर चिंता जाहिर की है। अच्छी छवि के शिक्षित, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ जनप्रतिनिधि मजबूत देश का बडा आधार बन सकते हैं। लेकिन हाल फिलहाल तो ऐसा होता दिखता नहीं ।
दर असल इसके अतिरिक्त एक अन्य दबाव बिन्दू लोकतंत्र में रहा है। जो दशकों से आम जनजीवन को प्रभावित करता रहा है। वह है लोकतंत्र पर भारी पडता भीड तंत्र । होता यह है कि सत्ता के लिये तथा चुनाव जीतने के लिये प्रत्याशी मतदाताओं को किसी भी तरीके से प्रभावित करना चाहता है। उसे इससे कोई फर्क नहीं पडता कि उसका समर्थक अपराधी है या ईमानदार । वह यदि उसका मतदाता है या वह मतदाताओं के समूह को प्रभाव में रखता है तो राजनैतिक दल, राजनेता उसे नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकते । यदि मतदाता या मतदाताओं के समूह का प्रमुख अपराधी है, अराजक है, बलात्कारी है, लुटेरा – हत्यारा है, भ्रष्ट है, सजायाफ्ता है तो भी उसे मतदान का अधिकार होता है। मताधिकार उसे ऐसा सुरक्षा आवरण प्रदान करता है जो एक बार वोट देने / दिलवाने के नाम पर पूरे पांच साल जमकर मनमानी करने की छूट प्रदान करता है।
किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में मतदान एवं मताधिकार को इस तंत्र की रीढ माना जाता है। लेकिन जब यह अराजकता, ब्लैकमेलिंग, संगठित अपराध, भ्रष्टाचार का आधार बन जाए तो सरकार एवं सभी दलों को निर्वाचन आयोग के साथ बैठकर इस पर विचार करना चाहिए ।
आज माब लिंचिंग, सडकों पर भीड की अराजकता सभी सरकारों, दलों, आम जनता के लिये बडी चिंता का विषय बन गया है। विभिन्न मांगों, मुद्दों पर सहमति– असहमति के लिये धरना ,प्रदर्शन, हडताल आम बात है, लोगों का अधिकार है। असहमति को लोकतंत्र की खूबसूरती माना गया है। लेकिन इसकी आड में जब अनियंत्रित भीड पथराव, लूट, आगजनी, बलात्कार, शासकीय/ व्यक्तिगत संपत्ति की लूट, रेल पटरियाँ उखाडने, रास्ते — चौराहों पर कब्जा करने, सुरक्षा बलों पर
बेखौफ हमले करने लगती है या सडक पर कानून व्यवस्था को हाथ में लेकर स्वयं कार्यवाही / न्याय पर उतारु हो जाती है तो इसके कारण आम निर्दोष जनता के अधिकारों का हनन होता है। जनता के साथ प्रशासन, सरकारें परेशान होती हैं। प्रतिवर्ष करोड़ो – अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है। देश के विकास की गति धीमी पडती है। वैश्विक स्तर पर देश अस्थिर होता है, उसकी छवि खराब होती है।
भीडतंत्र के सामने लोकतंत्र असहाय नजर आने लगता है। ऐसे में यदि सरकार सार्वजनिक हिंसा, लूट, आगजनी, तोडफोड, बलात्कार के सिद्ध आरोपियों तथा साजिश के तहत झूठ / भ्रम फैलाकर आम जनता को गुमराह करने वालों , बगावत के लिये उकसाने वालों , देश / देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों, मान्य संस्कृति, परंपराओं के विरुद्ध कार्य करने , राष्ट्र द्रोह के लिये माहौल बनाने ,राष्ट्र द्रोह को संरक्षण देने / करने वालों को शासकीय योजनाओं के लाभ के साथ मताधिकार से वंचित कर दे तो ऐसे लोगों के लिये यह एक सख्त संदेश होगा।
कल्पना करें कि जब बलवाईयों ,अराजकतावादियों , अपराधियों का मताधिकार ही नहीं होगा तो कोई राजनैतिक दल या नेता उन्हे प्रश्रय ही क्यों देगा ? जब वह वोटर ही नहीं होगा तो कोई उसके कुकृत्य, वारदातों के प्रति अपनी आंखे बन्द नहीं करेगा।
संसद और सदन में अपराधी, दागी चेहरे ना जाएं तो इसके लिये यह भी जरुरी है कि अच्छे ,ईमानदार , स्वच्छ छवि के नेता ही निर्वाचित हो कर आएं। तो इसके लिये यह भी जरुरी है कि किसी अपराधी , सजायाफ्ता गुण्डे ,मवाली को वोट डालने का अधिकार ना हो। यह एक ऐसा कदम होगा जो अराजक भीड को लोकतंत्र पर भारी पडने से रोकेगा। जब हम निर्वाचन प्रक्रिया से अपराधियों को अलग थलग कर देगें तो सडकों पर अराजकता, माबलिंचिंग रोकने मे भी मदद मिलेगी। यह लोकतंत्र के प्रति जवाबदेही की दिशा मे एक कदम होगा। समय आ गया है कि जब हम इस पर विचार करें कि मतदान सभी जिम्मेदार नागरिकों का अधिकार / कर्तव्य हो ना कि अपराधियों का । राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर आईये हम ,आप ,सभी इस पर चिंतन करें तथा सरकार को , दलों को इस पर विचार करने के लिये प्रेरित करें।
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