सिंधी गीहर की मिठास हुई फीकी

बिलासपुर (विजय दुसेजा वायरलेस न्यूज़) हर त्यौहार जब आता है तो कुछ ना कुछ मिठाई या अन्य स्वादिष्ट व्यंजन बनने शुरू हो जाते है.ऐसा ही एक त्यौहार है होली ,जैसे ही होली का त्योहार आत है सिंधी समाज रीति रिवाज के

अनुसार गिहर, मीठे समोसे, सलोनी, गुजिया एवं अन्य व्यंजन बनाने की तैयारी शुरू कर देता है क्योंकि जो हमारी परंपरा अविभाजित भारत के सिंध से चलती आ रही है जो भी त्यौहार आता है उस त्यौहार के अनुसार कुछ ना कुछ खरीद कर एक पिता अपनी बेटी के ससुराल वालो के पास व एक भाई के बहन पास लेकर जाता है.पर जैसे-जैसे महंगाई बढ़ रही है और नई-नई पीढ़ियां सामने आ रही हैं धीरे-धीरे रीति रिवाज और त्योहार फीके होते जा रहे हैं क्योंकि आज की युवा पीढ़ी सिर्फ धूम धमाका ही पसंद कर रही है
रीति रिवाज को बहुत कम पसंद करने लगी है और छोटे-छोटे त्यौहार तो अब लगभग विलुप्त से हो गए हैं कुछ बचे बड़े त्यौहार जो कि हिन्दू रीति के महत्वपूर्ण है उसमें भी वह अपने हिसाब से मनाना चाहते हैं विज्ञान ने अविष्कार किया मोबाइल का , सोशल मीडिया का आना हुआ इससे त्यौहारों में लोग एक दूसरे के पास जाते थे वह बहुत कम हो गया है लोग सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई देते हैं पर कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी परंपरा को आज भी मानते है वह त्यौहार को विधि पूर्वक मनाते हैं और सम्मान देते हैं.सिंधी कॉलोनी बिलासपुर में गियर होली के 10 दिन पूर्व ही बनने शुरू हो चुके है,स्थानीय दुकानदार ने बताया कि महंगाई के कारण इस बार 10 से 15 प्रतिशत तक का मुल्यवृद्वी हुई हैं और ग्राहकी भी कमजोर है , इसका कारण है महंगाई .
जनता को अब पहले जैसा अपने त्यौहार के प्रति रुझान नहीं रहा बड़े बुजुर्ग जब तक थे, तब तक घर में सब चलता रहा जैसे जैसे बुजुर्ग लोग दुनिया छोड़कर चले गए बाद वाली पीढ़ी धीरे धीरे इन त्यौहारों को मनाने का अनुपात कम हो रहा है.एक कारण यह भी है.पर कहते हैं कि आशा पर दुनिया टिकी है इसीलिए इन्हें विश्वास है कि अभी 2 दिन बाकी है गिहर की मांग उठेगी माल बिकेगा और हमारी होली भी अच्छी मनेगी