कोतमा विकास मंच के नेतृत्व में प्रभावित किसानों ने कलेक्टर से लगाई गोहार
अनूपपुर / (वायरलेस न्यूज़) जिला अंतर्गत बिजुरी से लगे कोयलांचल क्षेत्र के दल दल, रेउदा, पड़रीपानी और कोरजा गाँवों में एसईसीएल अंतर्गत हसदेव क्षेत्र के कोरजा भूमिगत कोयला खदान डिप्लेरिग कोयला खनन से पूर्व
एसईसीएल द्वारा जमीन अधिग्रहण की औपचारिकताओं को पूरा करने में समय – बे समय हीला हवाली करता रहा है। सालों पहले जिन किसानों की बेशकीमती जमीनें ली गयीं और उनका मुआवजा भी दे दिया गया , अब उनमें से कुछ किसानों को नौकरी नहीं दी जा रही। किसानों में लगातार गुस्सा बढने से जिला – पुलिस अधिकारियों के सामने धरना – प्रदर्शन के दौरान बहुत बार कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती आती रही है। जिला प्रशासन, पुलिस की उपस्थिति में कई बार किसानों को आश्वासन दिये गये । प्रशासनिक अधिकारियो की मध्यस्थता पर कालरी प्रबंधन के अधिकारियो और प्रभावित किसानो के बीच तीन माह के भीतर प्रभावित किसानो को रोजगार देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी , इस आशय का लिखित समझौता भी किया गया लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। प्रभावित लोग हर बार प्रशासन से रोजगार की मांग करते रहे हैं।
एक बार फिर प्रभावित किसानों, भू मालिकों ने समाजसेवी संगठन कोतमा विकास मंच के माध्यम से कलेक्टर सुश्री सोनिया मीणा से भेंट करके उन्हे पत्र सौंपकर अपनी पीड़ा से अवगत कराया।
चार अप्रैल, सोमवार को कोतमा विकास मंच के मनोज द्विवेदी, तेरसिया बाई, मनोज मिश्रा, यज्ञनारायण मिश्रा, विकास पाण्डेय, धर्मेन्द्र कुमार , सहित अन्य लोगों के साथ प्रभावित जमीन मालिकों ने कलेक्टर सुश्री मीणा और पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल से भेंट कर उन्हे समस्या से अवगत कराया ।
तेरसिया बाई बैगा के साथ अन्य प्रभावितों ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को पत्र सौंपकर बतलाया कि ग्राम कोरजा, पंडरी पानी , रेउंदा , दल-दल के किसानों की भूमि एस.ई.सी.एल. कोल माइंस के द्वारा अधिगृहीत किए जाने के पश्चात भी अवांछित अड़ंगेबाजी कर के सम्पूर्ण अधिग्रहण की कार्रवाई को निष्प्रभावी किया जा रहा है । इसके पूर्व भी कुछ भूमियों के खसरे में व्यवस्थापन से प्राप्त अ लिखा होने के कारण मुआवजे के भुगतान में व्यवधान डाला गया था । जिसे कलेक्टर कार्यालय से जारी पत्र क्रमांक 4851/10/भू-अर्जनः 2019 तारीख 28.9.2019 के द्वारा कथित व्यवधान हटाया गया था और भूमि स्वामियों के मुआवजे का भुगतान किया गया।
अब एक नया व्यवधान यह कह कर कि शासकीय पटटेदार एवं वंटन व्यवस्थापन खसरे में लिखा हुआ है , नौकरी नहीं दी जा रही। जब कि भूमि स्वामियों के कालम में किसान का नाम बकायदा दर्ज है तो उसमें शासकीय पटटेदार भी दर्ज होने का किसी प्रकार व्यवधान नहीं बनता । फिर भी एसईसीएल कंपनी बिलासपुर के अधिकारी उसी का बहाना बना कर के सम्पूर्ण कार्रवाई रोके हुए हैं।
कलेक्टर महोदय से निवेदन किया गया है कि खसरे में शासकीय पटटेदार लिखे होने के कारण भूमि अधिग्रहण व नौकरी की कार्यवाही में कोई व्यवधान पैदा न किया जाए तथा कोल माइंस की आर आर पालसी के तहत किसानों को रोजगार प्रदान किए जाए। इसमें उल्लेखनीय यह है कि जिन किसानों के शासकीय पटटेदार वह वंटन व्यवस्थापन अंकित है, उन्हें एस ईसीएल के द्वारा मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है सभी को रोजगार दिए जाने की कार्रवाई अविलंब किए जाने की आवश्यकता है ।कलेक्टर सुश्री मीणा ने पीड़ितों को ध्यान पूर्वक सुनने के बाद एस ई सी एल के सक्षम अधिकारियों से बात करके अतिशीघ्र समस्या को निराकृत करने का आश्वासन दिया गया है।
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