बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़) पिछले तीन महीनों से जिला प्रशासन ,पुलिस प्रशासन से त्रस्त मंगला चौक स्थित वंदना सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल प्रबंधन ने हाईकोर्ट और भाड़ा नियंत्रण अधिकरण रायपुर से मिली राहत से बंद हॉस्पिटल का ताला खोलने से राहत महसूस करते हुए

अपने हॉस्पिटल के सामने एक बोर्ड टांग दिया है कि “सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नही” जो कि सभी आने जाने वालों को काफी प्रभावित कर रहा है और जिला प्रशासन कुकृत्यों को ठेंगा दिखा रहा है, जिला प्रशासन द्वारा किए गए घृणित कार्यों की डॉक्टर जगत में खूब जमकर चर्चा का विषय रहा है और तो और अंत मे कलेक्टर बिलासपुर के दबाव में सीएमओ को मजबूर कर नर्सिंग एक्ट की तहत नोटिस भेज लाइसेंस निरस्त करने दबाव बना हॉस्पिटल प्रबन्धन को परेशान किया गया।लेकिन बिना परवाह किए भर्ती मरीजों का इलाज करते रहे।
इन दिनों हॉस्पिटल के सामने लगे पोस्टर लोगों की जुबान पर है। ज्ञात हो कि इसी मामले में तहसीलदार रमेश मोर को हाईकोर्ट से ज़बरदस्त फटकार लगाई गई थी ।

वंदना हॉस्पिटल का मुख्य द्वार का ताला खुला हुआ।

और हाईकोर्ट ने तहसीलदार रमेश मोर के एक तरफा जबरिया आदेश पर स्टे लगा दिया है और वंदना हॉस्पिटल का ताला खोलने का आदेश जारी कर दिया है। और कहा है कि तहसीलदार ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर अपने पद का दुरुपयोग कर मनमाना आदेश किया है। सूत्रों से अंदरूनी ख़बर मिली है और चर्चा है कि विपक्ष के रसूखदार डाक्टर से लेनदेन हुआ है। ज़िला प्रशासन को केवल वंदना हॉस्पिटल में ख़ामियाँ नज़र आ रही है और शहर के बाक़ी हॉस्पिटल पाक साफ़ है और अंतरास्ट्रीय मापदंड को पूरा करते हैं ऐसा उनको दिखता है। जबकि आपको बता दे की शहर के ऐसे कई हॉस्पिटल है जिनके ख़िलाफ़ ज़िला प्रशासन को गम्भीर से गम्भीर शिकायतें मिली , खबरें भी छपी लेकिन आज तक उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि ज़िला प्रशासन में फ़िलहाल कलेक्टर सारांश मित्तर बैठे हुए है। और चूँकि रमेश मोर उनके पास के राज्य हरियाणा से आते हैं। इसलिए उनको हर चीज की छूट मिला हुआ है। इन बाहरी प्रांत के अधिकारियों ने प्रकरण सुलझाने के उलझाने में कुछ ज्यादा ही आनन्दित होते है। फिलहाल यह मामला कोर्ट से रुका हुआ है अन्यथा हॉस्पिटल को बर्बाद करने में कोई कोर कसक नही छोड़ रखे थे। वैसे भी कोर्ट की प्रतिबंध समाप्ति के इंतजार में है । बिलासपुर का तहसीलदार भी इस प्रकरण में शामिल नजर आते है जिनकी वजह से विवादास्पद हो गया है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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