रायगढ़ (वायरलेस न्यूज़) २० मई दिन शुक्रवार सुबह ६ बजे से कमला नेहरू उद्यान में बच्चों की चहल-पहल थी। बच्चे १०-२० नहीं संख्या में ३०० से अधिक थे। वे सभी अपने शहर के हीरो कर्नल विप्लव त्रिपाठी के ४०वें जन्मदिन के मौके पर होने वाली चित्रकला प्रतियोगिता में शामिल होने आये थे। बच्चों ने याद करो कुर्बानी थीम पर अपनी कूची-कलम और रंगों से शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनकी शहादत को बड़ी ही खूबसूरती के साथ कागज पर उकेरा। किसी ने इस कायराना हमले पर चित्र से प्रहार किया तो किसी ने कर्नल विप्लव की जांबाजी को बखूबी बताया। एक चित्रकार बच्चे ने शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी की जीवंत तस्वीर बनाई जिसे वह प्रतियोगिता में बनाने से पहले प्रैक्टिस के तौर पर बना रहा था। इस तस्वीर को उसने विप्लव के पिता श्री सुभाष त्रिपाठी और माता श्रीमती आशा त्रिपाठी को भेंट किया तो दोनों के ही आंखें भर आई। शहर में कर्नल विप्लव त्रिपाठी की शहादत को नमन करते हुए बैनर, पोस्टर कई जगह टंगे हुए थे। वहीं मणिपुर में ४६ असम रायफल्स ने जन्मदिन के मौके पर अपने शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी के नाम पूजा-अर्चना कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
शाम को श्रद्धांजलि देते हुए ५१०० दीप शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी स्टेडियम में जलाये गये। देशभक्ति गीत गाये गये, चित्रकला प्रतियोगिता के बच्चों को पुरस्कार दिया गया। इससे पहले कर्नल विप्लव के मामा राजेश पटनायक ने संक्षिप्त में कर्नल विप्लव के जन्म से लेकर अब तक की पूरी यात्रा को बताया। इस दौरान वे भावुक हो गये लेकिन खुद को संभालते हुए उन्होंने अपने भतीजे के गौरवशाली जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में शहीद के माता-पिता, सास-ससुर समेत परिजन मौजूद तो थे ही साथ ही रायगढ़ विधायक, पुलिस अधीक्षक, एनसीसी कैडेट्स, पूर्व सैनिक और भारी मात्रा में लोग मौजूद थे।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद भी लोगों का शहीद को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला जारी रहा। कर्नल त्रिपाठी के कट-आऊट फोटो के साथ लोगों में फोटो खिचाने की होड़ लगी रही। यह पूरा आयोजन शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी मेमोरियल ट्रस्ट के द्वारा किया गया। जिसमें शहर की विभिन्न संस्थाओं ने अपना सहयोग दिया है। ट्रस्ट ने बताया कि हर साल ऐसे आयोजन होंगे।

शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी मेमोरियल ट्रस्ट को हर्ष चैनल, जेसीआई, मॉर्निंग वॉकर्स सोसायटी, युवा संघ, अग्रसेन सेवा संघ, मारवाड़ी पंचायती धर्मशाला, उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति, २८ बटालियन एनसीसी, सैनिक कल्याण परिषद्, पूर्व सैनिक संघ, विप्र फाउंडेशन, आशीर्वाद होटल, छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक मंच आदि संस्थाओं का भरपूर सहयोग मिला। इन संस्थाओं के अलावा जिलाध्यक्ष भीमसिंह, पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीना, महापौर जानकी काटजू, आयुक्त संबित मिश्रा, सभापति जयंत ठेठवार, पूर्व सभापति सलीम नियारिया, कर्नल आशीष पांडेय, कर्नल संतोष रावत आदि ने प्रशासनिक तौर पर भरपूर सहयोग दिया।

शत्-शत् नमन शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी

  • मेघा शुक्ला, बिलासपुर
    शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी (जीजाजी), शहीद अनुजा त्रिपाठी (दीदी), शहीद अबीर त्रिपाठी (भांजा) के साथ बहुत ही प्यारी यादें है। विप्लव जीजाजी बेहद हँसमुख स्वभाव के, दूरदर्शी, सभी की मदद करने वाले, हमेशा ऊर्जा से भरे हुए, एक सक्रिय व्यक्ति थे। सेना में होने के बावजूद सबसे संपर्क में बने रहते थे। जीजाजी एक बहुत उम्दा लेखक थे। उनकी लेखनी हम सब को हमेशा प्रभावित करती थी। जीजाजी द्वारा जन्मदिन पर भेजे गये बधाई संदेशों को वाट्स अप ग्रुप पर हर सदस्य इंतजार करता था। जीजाजी में कुछ नया सीखने की इच्छा हमेशा बनी रहती थी। अभी हाल में जीजाजी ने गिटार बजाना सीखा था। जब राहुल और मैं जनवरी २०२० में उनके पास आइजोल (मिजोरम) गये थे तब यूं ही एक दिन मैं और दीदी, अबीर का गिटार बजाने की कोशिश कर रहे थे। तब जीजाजी हमें देखकर मोबाइल पर एक एप डाऊनलोड कर गिटार बजाने में मदद करने लगे और जनवरी २०२१ में मेरे जन्मदिन पर जीजाजी ने गिटार के साथ जन्मदिन का गाना गाते हुए वीडियो रिकार्ड भेजी थी। यह परिवार बहुत ही अद्भुत एवं प्यारा था। दीदी-जीजाजी और अबीर के साथ जो भी समय व्यतीत करता उन सब को यही लगता ये तीनों हमारे बहुत नजदीक हैं। ये तीनों ही एक चुम्बकीय व्यक्तित्व के लोग थे। जो एक ही बार मिले, व्यक्ति को भी मोहित कर लेते थे।
    अक्सर जीजाजी अबीर को रात में कहानियां सुनाते थे। ये कहानियां परमवीर चक्र प्राप्त वीर सैनिकों की होती थी। अबीर को ये कहानियां सुनना अच्छा लगता था। इन कहानियां से प्रभावित होकर अबीर भी सेना से संबंधित खेल खेलता था, उसके रग-रग में देशभक्ति भरी हुई थी। दीदी भी अबीर को रात एवं सुबह उठकर ईश्वर को धन्यवाद देने के लिये प्रेरित करती थी। दीदी और जीजाजी मेरे और राहुल के मार्गदर्शक एवं पसंदीदा लोग है और हमेशा रहेंगे। दोनों ही जमीन से जुड़े हुए लोग थे। दीदी बताती थी कि राहुल अपने जीजाजी का परम भक्त है। जो जीजाजी बोलेंगे, वो मैं करूंगा, हो भी क्यों ना, इतने अच्छे लोगों के साथ हमारा जुड़े रहना, हमारे लिये गर्व की बात है। जीजाजी के साथ जब फोन पर बात होती थी तो बहुत लंबी होती। दीदी-जीजाजी के पास बहुत सारे किस्से-कहानियां होते थे जिन्हें सुनने के लिये मैं और राहुल हमेशा ही उत्सुक रहते थे। दीदी और जीजाजी की मेहमान नवाजी बहुत ही अच्छी होती थी। पार्टी घर में होने पर कुक होने के बावजूद दीदी अपने हाथों से स्वादिष्ट पकवान बनाती थी जिसे खाकर मेहमान भी आत्म संतुष्टि पाता था। दीदी और जीजाजी पार्टी को अगली बार और बेहतर बनाने के प्रयास में जुट जाते थे। दीदी-जीजाजी और अबीर तीन ही बेहद मिलनसार लोग थे। इनके पास आने के लिये हमेशा ही परिवार, रिश्तेदार, दोस्तों की होड़ लगी रहती थी। इतने अच्छे लोगों का इस तरह इतनी जल्दी चले जाना सचमुच बहुत दुखदायी है।