*“नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन पर तीसरी लाइन चालू होने से कनेक्टिविटी बढ़ेगी: बेहतर गतिशीलता और दक्षता आएगी”*

*“तीसरी रेल लाइन के साथ नौरोजाबाद स्टेशन पर एक अतिरिक्त प्लेटफॉर्म की उपलब्धता से यात्रियों को मिलेगी सुविधा”*

बिलासपुर – (वायरलेस न्यूज 24 नवंबर’ 2024)

बिलासपुर-कटनी रेल मार्ग भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण मार्गों में से एक है, जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से मध्य प्रदेश के कटनी तक फैला हुआ है । यह रेल मार्ग दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत आता है और विभिन्न महत्वपूर्ण शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ता है । अनूपपुर-कटनी रेल खंड छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख शहरों बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, रायगढ़ से होकर कटनी के रास्ते उत्तर भारत तक जाने वाले महत्वपूर्ण मार्ग का भी हिस्सा है । देश में हो रही आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के साथ-साथ रेल यातायात में भी वृद्धि हुई है और यह भविष्य में और भी बढ़ेगी । रेल यातायात में बढ़ोत्तरी से उत्पन्न होने वाली दबाव का असर रेलवे के सम्पूर्ण इंफ्रास्ट्र्क्चर के साथ-साथ रेल की गति को भी प्रभावित करती है, और इसलिए क्षमता वृद्धि की आवश्यकता उत्पन्न हुई है । क्षमता वृद्धि के लिए रेल लाइनों की संख्या बढ़ाने के कार्यों को मंजूरी दी गई है और इसके निर्माण के लिए सरकार द्वारा लागत राशि उपलब्ध कराया गया है ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में मुख्य रूप से क्षमता वृद्धि का कार्य बिलासपुर-झारसुगुड़ा 206 किलोमीटर चौथी लाइन, राजनांदगांव-कलमना (नागपुर) 228 किलोमीटर तीसरी रेल लाइन तथा अनूपपुर-कटनी 165 किलोमीटर तीसरी लाइन का कार्य किया जा रहा है ।

*अनूपपुर-कटनी तीसरी लाइन कार्य*

वर्तमान में अनुपपुर-कटनी तीसरी लाइन परियोजना के अंतर्गत अनुपपुर से कटनी, के मध्य 165.52 कि.मी. तीसरी लाइन का निर्माण लगभग 1680 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से किया जा रहा है । इस परियोजना के अंतर्गत अब तक 101 कि.मी. तीसरी रेल लाइन का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है ।

इसी कड़ी में नौरोजाबाद स्टेशन को तीसरी लाइन से जोड़ने के लिए दिनांक 24 से 30 नवंबर, 2024 तक यार्ड मॉडिफिकेशन का कार्य किया जा रहा है ।
मौजूदा स्टेशन में एक लाइन जोड़ने में स्टेशन के लेआउट में बदलाव शामिल होता है । यह बदलाव एक विशेष संरक्षा स्थिति के तहत किया जाता है जिसे नॉन-इंटरलॉकिंग कहा जाता है । संरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के दौरान ट्रेनों का संचालन कुछ गतिप्रतिबंध के साथ सीमित मार्गों पर किया जाता है । उदाहरण के लिए, सामान्य परिस्थितियों में एक ट्रेन को स्टेशन पार करने में 3-4 मिनट लगते हैं, लेकिन ऐसे यार्ड में नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के दौरान इसमें 20-25 मिनट समय की आवश्यकता पड़ती है । इस स्थिति में बहुत कम संख्या में सीमित ट्रेनों का परिचालन संरक्षा के मापदंडो को पूरा कराते हुए किया जा सकता है ।

नौरोजाबाद स्टेशन पर यार्ड मॉडिफिकेशन कार्य के दौरान लगभग 600 से अधिक मजदूरों सहित रेलवे के विभिन्न विभागों के लगभग 50 इंजीनियर/रेलकर्मी व 8 अधिकारी दिन-रात कार्य को संपादित करेंगे । इन कर्मचारियों के साथ-साथ विभिन्न मशीनरी जैसे T-28, बीसीएम, सीएसएम, यूनिमैट मशीन, पोकलेन, क्रेन, टॉवर वैन आदि भी तैनात किए गए हैं । यह टीम न केवल पॉइंट्स, ओएचई पोर्टल्स और ओएचई खंभो को हटाएगी, बल्कि पॉइंट्स एण्ड क्रासिंग की स्थापना और लूप लाइन की स्लीविंग भी करेगी, साथ ही नए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम का परीक्षण और कमीशनिंग का कार्य भी किया जाएगा । कार्य के दौरान 06 लाइन, 2 साइडिंग, 114 रूट, 28 सिग्नल, 3 प्वाइंट एण्ड क्रासिंग पर कार्य किया जाएगा । इसके साथ साथ 5 प्वाइंट एण्ड क्रासिंग को हटाने, 750 मीटर प्लेन ट्रैक का कार्य, मौजूदा प्लेटफार्म की लंबाई में वृद्धि, 3 किलोमीटर ओएचई लाइन की वायरिंग जैसे कार्य भी संपादित किए जाएंगे । यार्ड मॉडिफिकेशन के दौरान, स्टेशन पर नए सिग्नलिंग सिस्टम को स्थापित किया जाएगा, इससे ट्रेनों की आवाजाही और अधिक संरक्षित और प्रभावी होगी । नौरोजाबाद स्टेशन के तीसरी रेल लाइन से जुडने के बाद करकेली-उमरिया-लोरहा के लिए तीसरी लाइन की कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी, जिससे बिलासपुर-कटनी सेक्शन के बीच ट्रेनों की समयबद्धता में वृद्धि होगी । साथ ही नई इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग से संरक्षा बढ़ेगी और नौरोजाबाद स्टेशन में एक अतिरिक्त प्लेटफॉर्म की उपलब्धता से यात्रियों को सुविधा मिलेगी ।

मौजूदा और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, यह क्षमता वृद्धि कार्य अति आवश्यक है । रेल प्रशासन यार्ड परिवर्तन कार्य के दौरान लाइन की सीमित क्षमता को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों को रद्द करने योजना बनाता है और इस दौरान कम से कम ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो, इसको ध्यान रखा जाता है । भारतीय रेलवे हमेशा बेहतरीन गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित है ।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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