एक महाविद्यालय समूह के संचालक के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य के बजट से मेरी अपेक्षाएँ इस प्रकार हैं:
1. अनुदान वृद्धि एवं नियमों में सुधार: उच्च शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को बजट आवंटन बढ़ाना चाहिए और नियमों को उदार बनाना चाहिए। पिछले बजट में 1330 करोड़ रुपये सरकारी महाविद्यालयों के लिए थे, जबकि निजी संस्थानों को कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिला। यदि यही स्थिति रही, तो निजी महाविद्यालयों के संचालन में कठिनाई आएगी और उन्हें बंद करना पड़ सकता है।
2. तकनीकी शिक्षा का पुनरुद्धार: छत्तीसगढ़ ऊर्जा संसाधनों से समृद्ध राज्य है, जहां बीएसपी, एसईसीएल, एनटीपीसी और एमएनडीसी जैसे बड़े उद्योग मौजूद हैं। इसके बावजूद, तकनीकी शिक्षा दम तोड़ रही है। सरकार को इस दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए, जिससे तकनीकी शिक्षा का पुनरुद्धार हो और उद्योगों को दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध कराया जा सके।
3. स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता: राज्य की उद्यमिता नीति में संशोधन कर यह अनिवार्य किया जाए कि राज्य के उद्योगों में कम से कम एक-तिहाई नौकरियाँ स्थानीय महाविद्यालयों से शिक्षित युवाओं को दी जाएँ। इससे न केवल बेरोजगारी में कमी आएगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। अन्य राज्यों में यह नीति पहले से लागू है, छत्तीसगढ़ में भी इसे अपनाया जाना चाहिए।
4. छात्रवृत्ति में वृद्धि: वर्तमान में दी जाने वाली छात्रवृत्ति वार्षिक ट्यूशन फीस का केवल 50% कवर करती है और इसमें हॉस्टल तथा अन्य आवश्यक खर्च सम्मिलित नहीं हैं। चूंकि छत्तीसगढ़ एक ग्रामीण बहुल राज्य है, यहाँ के छात्रों को उच्च शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए छात्रवृत्ति को बढ़ाकर ट्यूशन, हॉस्टल और अन्य खर्चों का 80% तक किया जाए। इससे गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को शिक्षा जारी रखने में सहायता मिलेगी।
सरकार को बजट में इन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए ताकि उच्च शिक्षा को सुलभ और प्रभावी बनाया जा सके।
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