’’छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का प्रांतीय सम्मेलन सम्पन्न’’
’’डॉ राघवेंद्र दुबे और डॉ विवेक तिवारी हुए सम्मानित’’
बिलासपुर। ( वायरलेस न्यूज़) छत्तीसगढ़ के समृद्ध भाषाई धरोहर को नया आयाम देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा आठवां प्रांतीय सम्मेलन रायपुर के होटल वुड कैसल में 1 और 2 मार्च 2025 को भव्य रूप से आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में प्रदेशभर के 450 से अधिक साहित्यकारों, भाषाविदों, शिक्षाविदों और कलाकारों ने भाग लिया। इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्य अतिथी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, डॉ. विनय कुमार पाठक कुलपति थावे विद्यापीठ पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, श्री विवेक आचार्य संचालक संस्कृति, श्री रामेश्वर वैष्णव अध्यक्ष आयोजन समिति, डॉ. रमेन्द्र नाथ मिश्र वरिष्ठ साहित्यकार तथा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार की गरिमामय उपस्थिति रही।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए छत्तीसगढ़ी भाषा और उसकी क्षेत्रीय बोलियों को सशक्त बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। उन्होंने कहा “छत्तीसगढ़ी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की आत्मा है। इसे सहेजना और आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है। हमारी सरकार छत्तीसगढ़ी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 18 क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकों का निर्माण हो चुका है, जिससे बच्चों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।“ मुख्यमंत्री साय ने यह भी घोषणा की कि छत्तीसगढ़ी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी गई पुस्तकों को प्रदेश के सभी स्कूलों की लाइब्रेरी तक पहुँचाया जाएगा। इससे छात्र-छात्राएँ अपने क्षेत्रीय साहित्य और भाषा की समृद्धि को आत्मसात कर सकेंगे।
सम्मेलन में बिलासपुर जिले के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राघवेंद्र कुमार दुबे को छत्तीसगढ़ी के प्रति उनके सतत कार्यों के आधार पर माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा सम्मानित किया गया।
डॉ. विवेक तिवारी जिला समन्वयक बिलासपुर ने छत्तीसगढ़ी भाषा के मानकीकरण के सत्र का संचालन किया। वहीं उनकी सक्रियता हेतु माननीय बृजमोहन अग्रवाल जी सांसद तथा आयोग द्वारा उनको सम्मानित किया गया।
इस सम्मेलन में जिला समन्वय डॉ. विवेक तिवारी के नेतृत्व में बिलासपुर जिले से 20 प्रमुख साहित्यकारों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. राघवेन्द्र कुमार दुबे, अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर, शीतल प्रसाद पाटनवार, शत्रुहन जैसवानी, राजेश सोनार, एम डी मानिकपुरी, डॉ. राजेश मानस, डॉ. अंकुर शुक्ला, डॉ. सुनीता मिश्रा, सुषमा पाठक, अजय शर्मा धमनी, रतनपुर से दिनेश पाण्डेय, रामेश्वर शांडिल्य, बलराम पाण्डेय, शुकदेव कश्यप, दोस्त कुमार दुबे, बालमुकुंद श्रीवास, बद्री प्रसाद कैवर्त्य कर्रा तथा शरद यादव सीपत प्रमुख थे।
भाषा और साहित्य का महाकुंभ यह प्रांतीय सम्मेलन आठ प्रमुख सत्रों में विभाजित था, जिनमें पुरखा के सुरता छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य के पूर्वजों को नमन। छत्तीसगढ़ी साहित्य में महिला साहित्यकारों की भूमिका महिलाओं की साहित्यिक योगदान पर चर्चा। छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन में प्रदेश के कवियों ने रात भर अपनी रचनाओं से समां बांधा। छत्तीसगढ़ी भाषा का मानकीकरण, भाषा को एकरूपता देने के प्रयास। छत्तीसगढ़ी भाषा और स्थानीय बोलियों का अंतर्संबंध, विभिन्न बोलियों के योगदान पर चर्चा। प्रशासनिक कार्यों में छत्तीसगढ़ी का उपयोग, भाषा को सरकारी कार्यों में लागू करने के तरीके। पुस्तक विमोचन, समापन एवं खुला सत्र प्रतिभागियों के विचारों और सुझावों का मंच, ये सभी सत्र क्रमशः संपन्न हुए और सभी विषयों पर गहन चर्चा हुई।
प्रांतीय सम्मेलन में प्रदेश के जाने-माने लेखक, शिक्षाविद, कवि और भाषा प्रेमियों ने अपने विचार साझा किए और छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया।
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