तत्कालीन भू अर्जन अधिकारी/ अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) रायगढ़ के खिलाफ जारी आरोप पत्र (Framing of Charges) को माननीय उच्च न्यायालय ने किया निरस्त
रायगढ़ (वायरलेस न्यूज़) जिले के तत्कालीन भू अर्जन अधिकारी/अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420 467 468 471, 506 बी,120 बी और 34 के अंतर्गत आरोप के लिए विचारण आदेश को माननीय उच्च न्यायालय ने किया निरस्त
यह की तीर्थराज अग्रवाल ( वर्तमान एडिशनल कलेक्टर) की पदस्थापना डिप्टी कलेक्टर के पद पर 6 मार्च 2013 को जिला रायगढ़ में हुई थी और भू अर्जन अधिकारी/अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के पद पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे, रायगढ़ जिले के पुसौर तहसील स्थित झीलगिटार गांव की जमीन का एक बड़ा हिस्सा एनटीपीसी परियोजना के लिए अधिग्रहण के अधीन था, भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत एक अधिसूचना अधिग्रहण के लिए राजपत्र में प्रकाशित की गई थी और उसके बाद अवार्ड पारित होने के पश्चात सचिव और राजस्व आयुक्त द्वारा अनुमोदन देने के बाद उसे राज्य शासन के कोषागार में अवार्ड राशि स्थानांतरित कर दिया गया ताकि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा भू स्थापितों को भुगतान किया जा सके
17 अप्रैल 2014 को गिरधारी अग्रवाल द्वारा एक आवेदन प्रस्तुत अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के समक्ष प्रस्तुत कर यह तर्क दिया कि उनके परिवार के सदस्यों के बीच भूमि के बंटवारे में कुछ विवाद कि आशंका है और विवाद के चलते वह मुआवजे की राशि सात लाख वापस करना चाहता है इस इरादे से उसने सात लाख के डिमांड ड्राफ्ट के प्रति के साथ आवेदन प्रस्तुत किया था, तत्पश्चात कलेक्टर रायगढ़ को अज्ञात शिकायत की गई जिसमें यह उल्लेख किया गया कि ग्राम झीलगिटार में खसरा नंबर 16/190 से 16/ 197 तक 5 से 6 नए बैंक खाता खोले गए हैं, उक्त शिकायत के आधार पर जांच समिति गठित की गई, जांच में यह पता चला कि फोटो वास्तविक खातेदार के नहीं है, तत्कालीन पटवारी तहसीलदार तथा सरपंच ने मिलकर साजिश रची थी, तथा जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेखित उल्लेखित किया गया कि भू अर्जन अधिकारी रायगढ़ द्वारा सात व्यक्तियों के नाम से जो चेक जारी किया था उन सातों व्यक्तियों ने अपनी जाति छुपा कर यूको बैंक से फर्जी खाता खोलकर राशि निकाल ली, तथा जांच रिपोर्ट में अभी पता चला कि तत्कालीन पटवारी द्वारा कुछ लोगों के साथ मिलकर बंटवारानामा तैयार किया गया जिस पर ग्राम पंचायत द्वारा पंचनामा तैयार कर ऋण पुस्तिका तैयार की गई और तहसीलदार द्वारा प्रमाणित भी की गई, उपरोक्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर रायगढ़ द्वारा निर्देश देने पर FIR No.79/2014 थाना पुसौर में दर्ज की गई, तीर्थराज अग्रवाल के विरुद्ध एकमात्र आप यह था कि भूमि अधिग्रहण अधिकारी होने के नाते राकेश गोयल की भूमि के सहखातेदार के प्रमाण पत्रों की जांच किए बिना चेक सौंप दिया गया, तथा सह खातेदारों द्वारा फर्जी बैंक खाता खोलकर राशि का वितरण करवा लिया, तथा भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने चेक जारी करते समय न तो चेक प्राप्त करने वाले के प्रमाण पत्र की जांच की न ही डिमांड ड्राफ्ट प्राप्त करते समय जमाकर्ता के प्रमाण पत्र की जांच की, उपरोक्त आधारों पर तीर्थराज अग्रवाल के विरुद्ध आरोप पत्र जारी किए गए थे, उपरोक्त आरोप पत्र में यह आरोप लगाया गया कि
वर्ष 2011 से वर्ष 2013 के दरमियान मुख्य महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उपभोग केंद्र रायगढ़ के प्रस्ताव के अनुसार ग्राम झीलगीटार की निजी भूमि को रायगढ़ जिले में वृहत औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना हेतु ग्राम झीलगिटार पटवारी हल्का नंबर 40 तहसील पुसौर जिला रायगढ़ स्थित भूमि खसरा नंबर 16/6 रकबा 0.024 हेक्टेयर को बेईमानी पूर्वक आशय से चल करने के प्रयोजन से श्रीमती जय श्री, सोनिया, आकाश, सोनम, चांदनी, गिरधारी एवं चंचल के नाम पर छोटे-छोटे टुकड़ों में अविधिक रूप से खाता विभाजन कर उन्हें उत्तराधिकारी दर्शित करने की प्रवंचना कर उनके नाम की भू अर्जन की राशि को प्राप्त कर राज्य शासन के साथ छल किया है, इस प्रकार आपका यह कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471,506(बी)120 (बी) 34 के तहत दंडनीय अपराध है तात्कालिक डिप्टी कलेक्टर तीर्थराज अग्रवाल द्वारा आरोप पत्र से परिवेदित होकर हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत किया गया जिसकी सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा जी के यहां हुई याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव और मतीन सिद्दीकी द्वारा यह आधार लिया गया कि याचिकाकर्ता राजस्व अधिकारी की हैसियत से अवार्ड पारित किया गया है जो कि उनका कार्य जज प्रोटेक्शन अधिनियम 1985 की धारा 2 और 3 में निहित प्रावधानों द्वारा सरक्षित है, तथा आरोप पत्र में याचिकाकर्ता तीर्थराज अग्रवाल के खिलाफ कोई आरोप नहीं है दस्तावेज की सबूत नहीं है FIR में उनके नाम का कोई उल्लेख नहीं है साथ ही साथ धारा 161 सी.आर.पी.सी. में गवाहों द्वारा दिए गए बयान में तीर्थराज अग्रवाल के खिलाफ कुछ भी बयान नहीं दिया गया है, इसके अतिरिक्त सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के आदेश दिनांक 20 नवंबर 2024 मैं यह आदेशित किया गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विचार करने के पश्चात विभाग द्वारा याचिकाकर्ता के विरुद्ध शुरू की गई विभागीय जांच को समाप्त/नस्तीबद्ध करने का निर्णय लिया गया है, उपरोक्त आधारों पर माननीय न्यायालय ने याचिकाकर्ता तीर्थराज अग्रवाल के विरुद्ध तय आरोप पत्र अंतर्गत भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471,506बी, 120 बी और 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए अपराधिक मामला क्रमांक 1128/ 2014 में आरोपित आरोप को निरस्त किया जाता है और याचिकाकर्ता को उपरोक्त आरोपों से मुक्त किया जाता है आदेश पारित किया गया
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