**छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग कार्यालय के 18 वें स्थापना दिवस पर साहित्यकारों का हुआ सम्मान एवं कृतियों का विमोचन**
**वरिष्ठ कवि सनत तिवारी हुए सम्मानित**
छत्तीसगढ़ी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और लोकजीवन की आत्मा है : श्री बृजमोहन अग्रवाल
बिलासपुर।( 17/8/25 )छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के कार्यालय स्थापना दिवस पर साहित्यकारों का सम्मान कृतियाँ का विमोचन एवं विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ।
यह आयोजन माननीय सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल जी के मुख्य आतिथ्य में तथा विधायक श्री सुनील सोनी जी, श्री अनुज शर्मा जी, श्री पुरंदर मिश्रा जी, श्री मोतीलाल साहू जी,के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ ।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की सचिव डाॅ अभिलाषा दुबे बेहार ने स्वागत भाषण में आयोग द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी ।अतिथियों का स्वागत श्री विवेक आचार्य संचालक संस्कृति एवं राजभाषा द्वारा किया गया ।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गायक राम निहोरा राजपूत बिलासपुर द्वारा छत्तीसगढ़ वंदना की प्रस्तुति की गई।
मुख्य अतिथि माननीय सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल जी ने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना, छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने तथा छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग कार्यालय की स्थापना का स्मरण करते हुए कहा कि हम सभी को आज छत्तीसगढ़ी के विकास के लिए संकल्प लेना है , इसे स्वयं अपनाकर इसे राजकाज की भाषा बनाने के लिए सार्थक प्रयास करना होगा । उन्होंने छत्तीसगढ़ी के विकास में अमूल्य योगदान के लिये पद्म श्री डाॅ सुरेन्द्र दुबे जी के प्रयासों की जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु प्रयास करने की आवश्यकता बताते हुए सम्मानित जनों तथा विमोचित कृतियों के लेखकों तथा उपस्थित समस्त साहित्यकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी ।
इस अवसर पर डाॅ विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग एवं कुलपति थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार ने अपने संस्मरण में कहा कि छत्तीसगढ़ी के विकास में पद्मश्री डाॅ सुरेन्द्र दुबे ने अतुलनीय योगदान दिया था और छत्तीसगढ़ी के वर्तमान सही स्वरूप को अपनाये जाने की आवश्यकता बतायी थी । डाॅ पाठक ने कहा कि छत्तीसगढ़ी को राजकाज की भाषा एवं लोकप्रिय बनाने के लिए उसके स्वरुप को बिगाड़ने की नहीं बल्कि संवारने और समृद्ध करनें की आवश्यकता है । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार सरला शर्मा एवं अरूण निगम ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।
इस अवसर पर माननीय विधायक श्री पुरंदर मिश्रा जी, एवं माननीय विधायक पद्मश्री श्री अनुज शर्मा जी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी में हमारे लोकगीतों की मिठास, कहानियों की सरलता, और पीढ़ियों से चली आ रही लोकबुद्धि की गहराई बसती है। यह भाषा हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी पहचान सुरक्षित रखती है।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध बनाने वाले सम्मानीय साहित्यकार श्री सनत कुमार तिवारी (बिलासपुर) के साथ डॉ. रमाकांत सोनी, डॉ. संतराम देशमुख, गणेश यदु, मनमोहन ठाकुर एवं हर प्रसाद “निडर” को शाल श्री फल एवं मोमेंटो भेंट करके सम्मानित किया।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा आयोग द्वारा प्रकाशित 10 पुस्तकों का विमोचन भी किया गया तथा छत्तीसगढ़ी भाषा को पूरे विश्व में पहचान दिलाने वाले महान कवि पद्मश्री डाॅ सुरेंद्र दुबे जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।
इस अवसर पर बिलासपुर से आयोग के जिला समन्वयक डाॅ विवेक तिवारी के साथ डाॅ राघवेन्द्र कुमार दुबे, सनत कुमार तिवारी, अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर, विष्णु कुमार तिवारी, राम निहोरा राजपूत, शत्रुघन जैसवानी, आशीष श्रीवास, शीतल प्रसाद पाटनवार सहित प्रदेशभर से आए साहित्यकार, प्रबुद्धजन एवं राजभाषा आयोग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे ।
कार्यक्रम का संचालन विजय मिश्रा अमित, रामानंद त्रिपाठी, किशोर तिवारी ने किया ।
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