-: 12 नक्सलियों के मारे जाने की दावा – आई जी बस्तर पी सुंदरराज
*बीजापुर* 05 अप्रैल 2021
*वायरलेस न्यूज अरुण पाढ़ी*
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में कई वर्षों बाद इतना बड़ा हमला हुआ है। तर्रेम थाना जोनागुड़ा की पहाड़ियों में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन, डीआरजी, एसटीएफ और बस्तरिया बटालियन के जवान नक्सलियों को घेरने पहुंचे थे। पहाड़ियों के किस हिस्से में नक्सली छिपे हो सकते हैं या वह प्वाइंट जहां घात लगाकर हमला हो सकता है, इसकी ‘खुफिया’ जानकारी में ऐसी सटीक सूचना का अभाव था। इसके उलट नक्सलियों को इस ऑपरेशन की जानकारी थी । खास तौर पर इस ऑपरेशन को अंजाम देने में सेंट्रल जोन कमेटी के दुर्दांत नक्सली हिड़मा की तैयारी थी जो इस घटना का मास्टर माइंड बताया जा रहा है नक्सलियों के हाथों में एके-47, एलएमजी,
यूजीबीएल,राकेट लांचर हैंडग्रेनेड जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर घटना को अंजाम दिया । 40 लाख का ईनामी दुर्दांत नक्सली हिड़मा को चार राज्यों की पुलिस तलाश कर रही है लेकिन उसकी ताजा तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है
मंजर इतनी भयावह थी कि गांव में भी जवानों के मृत शव बिखरे पड़े थे देखने में ऎसा लगा कि नक्सली पूरी तरह जवानों को घेर कर रखा था जो इस घटना को आसानी से अंजाम दिया । गांव के बाहर एक जवान पेड़ की आड़ में मोर्चा बना के नक्सलियों से लोहा ले रहा था कि अचानक उसके जांघ में आकर गोली लगी खून बहता देख जवान ने हिम्मत नहीं हारी गमछा निकालकर जांघ को बांधा फिर मोर्चा में डट गया लड़ते लड़ते जवान वीरगति को प्राप्त हो गया । नक्सल आपरेशन में घायल जवान सोनू मंडावी ने बताया कि मूडभेड़ में अपने घायल नक्सलियों को मदद करने के बाद नक्सलियों ने घायल जवानों के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग करना शुरू कर दी और नक्सली घायल जवानों को ललकार भी रहे थे दम है तो सामने आओ जिससे हमारे जवान लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए। घटना स्थल पर चारपाई की खाट भी देखा गया जिस पर नक्सलियों ने अपने घायल व मृत साथियों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने का काम किया है खाट में लगे खून के धब्बों से प्रतीत होती हैं कि नक्सलियों को भी भारी नुकसान हुआ है । इधर नक्सल
घटना कि खबर सुनते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने असम के चुनावी दौरे से तुरंत लौट आए व रामकृष्ण केयर हास्पिटल पहुंचकर घायल जवानों का हाल चाल जाना व डाक्टरों को इलाज में किसी भी प्रकार की कमी न होने की निर्देश दिए । *आइए देखते है एक नज़र में 2007 से अब तक की सबसे बड़ी नक्सल घटना*
*दंतेवाड़ा: 17 मई 2010*

*एक यात्री बस में सवार हो कर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग लगा कर हमला किया था, जिसमें 12 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 36 लोग मारे गए थे

*ताड़मेटला: 6 अप्रैल 2010*

बस्तर के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के जवान सर्चिंग के लिए निकले थे, जहां संदिग्ध माओवादियों ने बारुदी सुरंग लगा कर 76 जवानों को मार डाला था.

*मदनवाड़ा: 12 जुलाई 2009*

राजनांदगांव के मानपुर इलाके में माओवादियों के हमले की सूचना पा कर पहुंचे पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने हमला बोला और उनकी हत्या कर दी.

*उरपलमेटा: 9 जुलाई 2007*

एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था. इस दल पर माओवादियों ने हमला बोला, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए. *श्यामगिरी: 9 अप्रैल 2019*

दंतेवाड़ा के लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था. माओवादियों के इस हमले में भीमा मंडावी के अलावा उनके चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गये थे.

*बुरकापाल: 24 अप्रैल 2017*

सुकमा ज़िले के बुरकापाल के पास नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवान उस समय मारे गये, जब वे सड़क निर्माण में सुरक्षा के बीच खाना खा रहे थे

*दरभा: 25 मई 2013*

बस्तर के दरभा घाटी में हुए इस माओवादी हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोग मारे गए थे

*धोड़ाई: 29 जून 2010*
नारायणपुर जिले के धोड़ाई में सीआरपीएफ के जवानों पर माओवादियों ने हमला किया. इस हमले में पुलिस के 27 जवान मारे गए * *रानीबोदली** *15* *मार्च* *2007*
बीजापुर के रानीबोदली में पुलिस के एक कैंप पर आधी रात को माओवादियों ने हमला किया और भारी गोलीबारी की. इसके बाद कैंप को बाहर से आग लगा दिया. इस हमले में पुलिस के 55 जवान मारे गए

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Amit Mishra - Editor in Chief
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