बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़ 20 मई 2021) छ.ग. में मानसून सामान्यतः 10 से 15 जून को आ जाता है। किसान खरीफ फसलों की बोवाई करने के लिए अपने खेतों को तैयार करने में जुटे हुए है। बिलासपुर जिले में हर वर्ष खरीफ की बोवाई लगभग 178450 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है। जिसमें किसान उर्वरकों का उपयोग करते है। इसके लिए किसानों को असली एवं नकली उर्वरक की पहचान होनी चाहिए।
उप संचालक कृषि बिलासपुर ने बताया कि बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक खरीदते समय ध्यान में रखें कि सभी किसान बीज उर्वरक एवं कीटनाशक अधिकृत विक्रेता से ही खरीदें। कृषि आदान संबंधित किसी भी प्रकार का बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक आन लाईन नहीं मंगाएं और इससे होने वाली संभावित ठगी से बचे। किसी भी प्रकार का कृषि आदान खरीदते समय अधिकृत विक्रेता से बिल अवश्य प्राप्त करें। कृषि आदानों का उपयोग करते समय इसकी निर्धारित मात्रा एवं सही आदान का ही प्रयोग करें ताकि होने वाले अपव्यय से बचा जा सके।
किसान उर्वरक खरीदते समय कुछ सामान्य जानकारी रखकर बाजार में मिलने वाले नकली उर्वरकों की पहचान करके आर्थिक नुकसान से बच सकते है। मुख्य उर्वरक जैसे-यूरिया, डी.ए.पी., सुपर फास्फेट पोटाश, जिंक सल्फेट आदि की असली या नकली होने की पहचान विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं। यूरिया के सफेद गोल आकार के एक जैसे दाने होते है, इसकी पहचान के लिए यूरिया के कुछ दानों को एक पानी के गिलास में डालकर इसके हिलाने पर संपूर्ण यूरिया पानी में घुल जाता है। पानी को छूने पर ठंडा महसूस हो तो यूरिया असली है। डी.ए.पी. के दाने कंकड़ की तरह अनियमित आकार के होते है डी.ए.पी. के दानों को हथेली में रखकर तबांकू की तरह इसमें चूना मिलाकर रगड़ने पर तेज गंध का एहसास होता है तो डी.ए.पी. असली है दूसरा तरीका यह है कि डी.ए.पी. के कुछ दानों को गरम तवे पर रखकर गर्म करने पर असली डीएपी के दाने फूल जाते है और नकली डीएपी के दाने नही फूलते है। इसी प्रकार पोटाश को पहचाने के लिए असली पोटाश सफेद एवं लाल मिर्च पावडर जैसा होता है। असली पोटाश के दाने में नमी होने पर या उसमें पानी मिलाने पर आपस में चिपकते नहीं है तो पोटाश असली होता है। इसका दूसरा तरीका यह है कि पोटाश में पानी मिलाने पर इसमें उपस्थित लाल दाने पानी की उपरी सतह पर तैरने लगते है तो समझना चाहिए कि पोटाश असली है। जिंक सल्फेट हल्का सफेद या पीले भूरे रंग का होता है। डीएपी के घोल में जिंक सल्फेट मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बन जाये तो यह असली है। अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के मैदानी विस्तार अधिकारियांे एवं विकासखण्ड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
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