बिलासपुर (अमित मिश्रा वायरलेस न्यूज़) भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की शुरुआत देव स्नान पूर्णिमा पर यानी 24 जून से प्रारम्भ हो रहा है, इसी के साथ रेलवे क्षेत्र स्थित महाप्रभु जगन्नाथ के मंदिर के पट भी भक्तों को दर्शन देने के लिए खुल जायेगा।
रथयात्रा के दौरान एक माह तक जगन्नाथ मंदिर एवं गुंडिचा मंदिर में भगवान के आगमन का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें सांस्कृतिक, प्रारम्परिक व धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं, कोविड के चलते विगत वर्ष किसी भी तरह का सार्वजनिक आयोजन नहीं किया गया, जबकि मंदिर प्रबंधन द्वारा इस बार भी सादगी पूर्वक मनाने जाने का निर्णय लिया है।
भाई-बहन के साथ प्रभु करेंगे गुंडिचा यात्रा
12 जुलाई को गुंडिचा यात्रा निकाली जाएगी, इसी दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे। वहां इन तीनो का भब्य स्वागत किया जाएगा। जिसके बाद भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर 7 दिनों तक विश्राम करेंगे। जहां उनकी आगमन की खुशी प्रतिदिन सांस्कृतिक व धर्मिक कार्यक्रम आयोजन की जाती है। लेकिन इस बार भी कोविड के चलते मंदिर प्रबंधन द्वारा किसी तरह का आयोजन नही किए जाने का निर्णय लिया गया है।
बाहूडा यात्रा के साथ समापन
16 जुलाई को हेरा पंचमी मनाई जाएगी, मान्यता है भगवान जगन्नाथ माता लक्ष्मी को अपने साथ मौसी माँ के घर नहीं लाते हैं तब नाराज लक्ष्मी द्वारा अपने दूतों को भेजकर भगवान का रथ तुड़वा दिया जाता है, जिसे हेरा पंचमी कहते है।
वहीं गुडीचा मंदिर में 7 दिनों तक आंनद पूर्वक रहने के बाद 20 जुलाई को बाहूडा यात्रा के दिन भगवान अपने भाई बहन के साथ वापस जगन्नाथ मंदिर में लौट आएंगे।
इसी के साथ रथ यात्रा का भी समापन हो जाएगा।
नव यौवन दर्शन 10 जुलाई को
बुखार होने के कारण मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है। इसे मुख्य पंडितों के द्वारा प्रतिदिन काढ़ा दिया जाता है, भगवान के स्वस्थ होने के बाद नव यौवन दर्शन कराया जाता है।
जिसे 10 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान के मोहक रूप को देखने भक्तों की भीड़ जुटने लगती है।
*सांकेतिक रूप से होगा आयोजन *
इस बार भी कोरोनो व सरकारी गाइड लाइन के चलते मंदिर परिसर में सार्वजनिक आयोजन नही किए जाएंगे मंदिर परिसर में मास्क सेनेटाइजर का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा। तथा थर्मल स्क्रिनिग की ब्यवस्था की जाएगी। आम जनों को प्रवेश की अनुमति नही होगी साथ ही भोग प्रसाद नही चढ़ाया जाएगा।
भगवान के साथ बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां का स्नान
उत्कल समाज के अध्यक्ष एवं मंदिर कमेटी समन्वयक श्री के. के. बेहरा ने बताया कि 24 जून देव स्नान पूर्णिमा के दिन ही 121 कलशों से भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति को स्नान कराया जाएगा। स्नान की प्रक्रिया मंदिर में बने स्न्नान मंडप में ही 7 पंडितों द्वारा सम्पन्न की जाएगी जिसके बाद सभी मूर्तियों को आकर्षक नए वस्त्रों से सज्जा की जाएगी पौराणिक मान्यता अनुसार स्नान के दौरान भगवान सहित भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को बुखार हो जाता हैं जिस वजह से उन्हें एकांत कारावास में 15 दिनों के लिए रख जाता है। ठीक 15 दिन बाद 9 जुलाई को नेत्रोत्सव मनाया जाएगा इसी दिन मंदिर के ध्वज ही बदले जाएंगे।
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