घायल बाघिन को छोड़ने को लेकर बैठक में कोई निर्णय नही
बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़) अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक घायल बाघिन 8 जून को रेस्क्यू की गई , जिसे कानन पेंडारी जू हॉस्पिटल बिलासपुर में रखा गया है, उसी को लेकर आज हाई लेबल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग 12 बजे की गई थी सभी ने अपनी अपनी राय रखी , डब्लू डब्लू आई के डॉ निगम ने पूरी रिपोर्ट देखने के बाद उन्होंने कहा की बाघिन की स्थिति सुधार पर तो है मगर अभी भी पीछे पैर में लगड़ापन बरकरार है उसकी एक्सरे के साथ साथ ब्लड एवं स्टूल सेम्पल लेने को डॉ पांडेय को कहा है, उक्ताशय की जानकारी अचानकमार बायोस्फियर के सी सी एफ श्री एस जगदीशन ने दी।
श्री जगदीशन ने कहा कि घायल बाघिन का इलाज एक्सपर्ट डॉक्टरों की देखरेख में किया जा रहा है। जब तक बाघिन पूरी तरह स्वस्थ न हो जाए तब तक कमेटी कोई भी निर्णय लेने की स्थिति में नही है।
बाघिन के घायल मिलने होने के 14 दिन पश्चात 22 जून को वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी ने बाघिन के दिन प्रतिदिन हेल्थ और ट्रीटमेंट मॉनिटरिंग और तकनीकी मार्गदर्शन देने के लिए 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है । जिसमें पशु चिकित्सक के जानकार एनटीसीए के मेंबर , डॉ पी के चंदन, अचानकमार के सरपंच ,समिति में अध्यक्ष अचानकमार टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर हैं जो कि भारतीय वन सेवा से हैं,डायरेक्टर वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के प्रतिनिधि प्रतिनिधि हैं,समिति के सातवें सदस्य अचानकमार टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर हैं ।
है।
दिन-प्रतिदिन हेल्थ और ट्रीटमेंट का ध्यान रखने कानन जू के डॉ पांडेय लगतार देखरेख कर रहे हैं ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पी सी सी एफ वाइल्डलाइफ श्री नरसिम्हा राव अब बाघिन के पीछे पैर की एक्सरे की अनुमति देंगे ,उसके लिए फिर से उसे ट्रंकलाइजर कर बेहोश किया जाएगा तब ही एक्सरे किया जाएगा।
बाघिन को लेकर विभाग पूरी गोपनीयता बरत रही है। हालांकि यह भी पता चला है कि बाघिन चिकन खाने की आदि हो चली है मीट देने पर नही खाती है, हालांकि विभाग इस बात से पूरी तरह इंकार कर रही है धीरे धीरे देने का प्रयास कर रही है ।
क्षेत्र में चर्चा है कि जिस इलाके में बाघ पाई गई वहां के कुछ लोग अवैध शिकार में भी लिप्त रहते हैं । और बाघिन चोटिल होने के पूर्व ट्रैप में फंस गई थी । बाघिन की उम्र को लेकर भी शंका के दायरे में है वन विभाग । वन विभाग द्वारा जिसकी उम्र 12 वर्ष बताई जा रही है । जबकि उसकी उम्र बहुत ही कम है ।
इस संबंध में वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघिन को पुनः जंगल में नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
फिर भी अंतिम निर्णय समिति को ही लेना है।
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