जमीन दलालों एवम कंपनी में शामिल शेयर धारकों ने एक बड़ी सोची समझी रणनीति के तहत कांसाबेल के टांगर गांव में स्टील प्लांट खोलकर सरकारी अनुदान जो करीब 50% तक मिलती है उसे हड़पने की गंदी साजिश रची है जिसमें कुल दो सौ लोगों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने की बात की जा रही है। प्रबल प्रताप ने बताया कि घोर करोना काल में जब पूरा भारत बंद था तब जुलाई 20 में 15 लोगों ने एक एक लाख के अंशदान से एक कंपनी बनाकर सरकारी सब्सिडी हड़पने की साजिश रची गई। यह अनुदान अनुमानतः लगभग दो तीन सौ करोड़ मिलनी है इसलिए आननफानन में कुछ दलालों को आगे रखकर यह खेल खेला जा रहा है। पर्यावरण अधिकारियों द्वारा बिना लोगों जन सर्वेक्षण के ऑफिस में बैठकर संवेदनशील ऐसे क्षेत्र में जो हाथी विचरण क्षेत्र है और जिसे एलिफैंट कॉरिडोर बनाया जाना प्रस्तावित है स्टील प्लांट के लिए सहमति प्रदान करने की साजिश घोर चिंता का विषय है।इसकी जांच होनी चाहिए। आदिवासियों के शोषण का मार्ग प्रशस्त कर उन्हें जल जंगल जमीन से वंचित करने की साजिश रचने वालों को बक्शा नहीं जायेगा। स्टील प्लांट एवम थर्मल प्लांट के लिए पानी की उपलब्धता पर बिना विचार किए बरसाती नाले के भरोसे कारखाने को सहमति प्रदान करने वाले अधिकारी संज्ञान लें उनके कारनामों को भी उजागर किया जाएगा कि किस लालच में सहमति दी गई। फॉरेस्ट विभाग अवगत है कि वह क्षेत्र हाथी विचरण क्षेत्र है इसका प्रमाण हाथियों द्वारा जान माल की क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाने वाला मुआवजा है।क्या जंगल विभाग ने अपनी सहमति दी है । किस लालच एवम परिस्थितियों में 4 अगस्त को आनन फानन में जन सुनवाई की जा रही है।जबकि कलेक्टर ये जानते हैं कि इस क्षेत्र की जनता की प्राथमिकता क्या है। उन्होंने मांग कि शीघ्र अति शीघ्र इस जन सुनवाई को निरस्त कर सब्सिडी घोटालेबाजों एवम जमीन दलालों से जशपुर की जनता को निजात दिलवाई जाए एवम जशपुर क्षेत्र की हरियाली एवम खुशहाली कायम रखी जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह जन सुनवाई निरस्त नहीं की गई तो 4 अगस्त को टांगर गांव में जन सुनवाई का पुरजोर विरोध किया जायेगा और किसी भी शर्त पर जशपुर के पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाली साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा ।जन आक्रोश की जिम्मेवार प्रशासन होगी।