बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़ 19 सितंबर) कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता व रहस नाचा के जाने माने कला निर्देशक गोदिल प्रसाद अनुरागी का आज सुबह रतनपुर में निधन हो गया। पिछले तीन माह से उनकी तबीयत खराब चल रही थी।

गोदिल प्रसाद अनुरागी सन् 1980 में बिलासपुर के सांसद थे। इसके पहले वे दो बार लगातार मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। सांसद व विधायक रहने के बावजूद उनकी ख्याति रहस नाचा के निर्देशक के रूप में पूरे छत्तीसगढ़ तथा प्रदेश के बाहर थी। राजनीति में भी उनका इसी लोकप्रियता की वजह से प्रवेश हुआ।

पिछले तीन माह से वे लकवाग्रस्त थे। डॉक्टरों ने इलाज के बाद उन्हें घर पर ही विश्राम करने कह दिया था। इसलिये रतनपुर के वार्ड नं. 10 नवापारा स्थित अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ रहे थे।

रामभरोसे सूर्यवंशी के पुत्र गोदिल प्रसाद का जन्म 1 नवंबर 1931 को नवापारा में हुआ था। उन्होंने सातवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी लेकिन रहस नृत्य में उनकी महारत थी। यह ऐसा लोक नृत्य है जो बड़े मैदान में दर्जनों कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें कृष्ण की रासलीला का वर्णऩ होता है। उनके अस्वस्थ होने के बाद से रहस के आयोजन नहीं हो रहे हैं।

जगजीवन राम लेकर आये राजनीति में
60 के दशक में प्रख्यात हरिजन नेता बाबू जगजीवन राम देशभर का दौरा कर रहे थे। उस वक्त वे केन्द्रीय मंत्री थे। इस दौरान उनका रतनपुर के छात्रावास में रुकना हुआ। वहां की व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी गोदिल प्रसाद अनुरागी को दी गई थी। अनुरागी की लोक कला में रुचि और इसके चलते उनकी जान-पहचान को बाबू जनजीवन राम ने देखा। इसके बाद अगले विधानसभा चुनाव में उन्होंने मस्तूरी से उन्हें कांग्रेस की टिकट दे दी। वे 1967 से 77 तक मस्तूरी के विधायक रहे। सांसद बनने के बाद अनुरागी का सीधा संपर्क तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से था। रतनपुर के लोगों के लिये यह कौतूहल का विषय होता था कि उनकी इंदिरा गांधी से सीधे बात होती थी। सांसद रहते दिल्ली तथा देश के कई शहरों में उन्होंने रहस लीला का आयोजन किया।

गोदिल प्रसाद अनुरागी चश्मा पहनेे हुए इंदिरा गांधी के ठीक बगल में। साथ में उस वक्त के मध्यप्रदेश के मुख्यमंंत्री पं श्यामाचरण शुक्ल

अऩुरागी की पत्नी श्याम बाई गुजर चुकी हैं। उनके इकलौते पुत्र का भी निधन हो चुका है। उनकी एक बेटी तान्या अनुरागी ने भी बिलासपुर लोकसभा से चुनाव लड़ा। दूसरी बेटी की शादी मल्हार में हुई है। अनुरागी रतनपुर में अपने नाती-पोतों के साथ रहते थे। उऩका एक नाती इस समय रतनपुर नगरपालिका में पार्षद है। रतनपुर को नगरपालिका बनाने का श्रेय भी अनुरागी को जाता है। उनके निधन से रतनपुर के लोगों व जिले के कांग्रेस नेताओं में शोक का वातावरण है।