रायगढ़। ( वायरलेस न्यूज़) पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार भी पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रतिवर्ष लाखों पौधे लगाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है। वहीं वनों की सुरक्षा के लिए अधिकारी कर्मचारी तैनात किए गए हैं। लेकिन इन्हीं अधिकारी कर्मचारी के सामने जंगलों को काट दिया जा रहा है। या यूं कहें रक्षक ही भक्षक बन गये हैं।
वन मण्डल धरमजयगढ़ मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर ही कई एकड़ जंगल को काटकर रेशम उत्पादन के लिए किट छोड़ा जा रहा है। ग्राम ओंगना से लगे जंगल में रेशम केंद्र धरमजयगढ़ द्वारा समूहों के माध्यम से बहुत बड़े क्षेत्र फल में रेशम कीड़ा को छोड़ा गया है। जिसके लिए सरई के हजारों पौधों (गोजा) को काट दिया गया है। ग्राम ओंगना के 15-20 लोग समूह बनाकर रेशम विभाग के मार्गदर्शन में वहां पर कार्य कर रहे हैं। समूह वालों से पूछने पर रेशम किट खरीदी एवं तैयार रेशम बिक्री का दर नहीं बता पाए। जिससे लगता है कि रेशम विभाग ही सब कुछ करवा रहा है। क्योंकि वहां देखने के लिए रेशम केंद्र के अधिकारी कर्मचारी जाते रहते हैं। वहीं देखने से स्पष्ट होता है की पेड़ कटाई में वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि वन विभाग के कर्मचारी भी मौके पर जाते हैं। लेकिन आंखों के सामने हजारों सरई पौधों को कटते देख वन विभाग द्वारा कुछ नहीं कहना समझ से परे है। यहां हजारों की संख्या में सरई पौधों की कटाई अधिकारी के मौन सहमति बिना नहीं हो सकता। इस सम्बंध में धरमजयगढ़ रेशम केंद्र अधिकारी त्रिपाठी से बात की गई तो उनका कहना है कि हमारे द्वारा ही उनको रेशम उत्पादन के लिए प्रेरित कर कीड़ा दिया गया है। जिसका समय-समय पर विभाग के कर्मचारी अवलोकन कर रहे हैं। वहीं वन परिक्षेत्र अधिकारी धरमजयगढ़ यादव से बात की गई तो पता लगाने की बात कही। अब देखना है कि सम्बंधित अधिकारी जांच कर कार्यवाही करते हैं या हजारों पौधों की कटाई को साधारण मान कर हमेशा की तरह एक बार फिर वन विभाग इस मामले को फाईलों में दफन कर देगा।
वहीं हमारे संवाददाता ने जब इस संबंध में धरमजयगढ़ वनमंडलाधिकारी चर्चा करनी चाही तो उनका फोन नही उठ सका।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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