By -अमित मिश्रा वायरलेस न्यूज़

बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़) छत्तीसगढ़ में दुर्ग रेंज के IG रहे और ACB के पूर्व चीफ जीपी सिंह पर एसीबी की कार्रवाई के बाद अचानक ही हाईकोर्ट के सख्त फैसला प्रदेश के 90 अफसरों की परेशानी बढ़ा सकता है। दरअसल हाई कोर्ट की युगलपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य शासन से पूछा है कि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की छापामार कार्रवाई के बाद आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में प्रदेश के 90 अफसरों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया है। तो अब तक इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

साथ ही कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर अंडरटेकिंग देने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने एक पत्र को स्वतः संज्ञान में लेते हुए पत्र याचिका के रूप में स्वीकार किया है। बता दें कि रायपुर निवासी एक व्यक्ति ने प्रदेश के लगभग 90 प्रमुख अफसरों के खिलाफ एसीबी में लंबे समय से प्रकरण लंबित होने और कार्रवाई ना होने पर हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। इसमें जानकारी दी थी कि भ्रष्टाचार के आरोपित अफसरों पर राज्य शासन की तरफ से आजतक कार्रवाई नहीं की गई है। इसके चलते वे आज भी मनचाहे विभागों में पदस्थ हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैं।

इस पत्र में इस बात की भी आशंका जाहिर की है कि कुछ अफसर बेहद प्रभावशाली हैं। सत्ता में दखल रखने के कारण अपने ऊपर लगे आरोपों को प्रभावित भी कर सकते हैं। पदों पर जमे होने के कारण दस्तावेजों को भी गायब करने की आशंका जताई है। आरोपित होने के बाद भी राज्य शासन द्वारा मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। पत्र में कही गई बातों को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित कर पत्र याचिका के रूप में पीआइएल पंजीकृत करने का आदेश दिया था।

हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई प्रारंभ की है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ में हुई। प्रकरण की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारियों से पूछा कि आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई में विलंब क्यों हो रहा है। राज्य शासन को एक सप्ताह के भीतर अंडरटेकिंग देने के निर्देश दिए हैं।

पेश करना होगा प्रकरण से संबंधित दस्तावेज

आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एसीबी द्वारा बनाए गए प्रकरण और दायर आरोप पत्र सहित संपूर्ण दस्तावेज पेश करने के निर्देश युगलपीठ ने राज्य शासन को दिए हैं।